उन्होंने पोषण माह के दौरान जागरूकता रैली में महिलाओं और बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने के लिए प्रेरित किया गया। गर्भवती माताओं की गोद भराई करवाने, 6 माह पूरा करने उपरांत बच्चों का अन्नप्राशन भी करवाने सहित तमाम पहलुओं पर बारिकी जानकारी दी गई।
महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय पोषण माह रैली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा वर्कर और महिलाओं तथा स्कूली बच्चों ने भाग लिया। महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी ग्रामीण डॉ मंजू श्योराण ने बताया कि महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए घरेलू व्यंजनों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। अपने घर की रसोई में पौष्टिक आहार बनाकर वही खाना और अपने परिवार को खिलाकर स्वास्थ्य को उत्तम रखा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं , दूध पिलाने वाली माताओं को घर में हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, फल, दही, लस्सी व स्लाद आदि का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। माताएं अपने बच्चों को ढालें, खिचड़ी, दलिया, पंजीरी आदि खाने के लिए दें जो कि सबसे उत्तम आहार है। डॉक्टर श्योराण ने आगे बताया कि भोजन में तली हुई चीजें, अधिक मसालेदार सब्जी, पैकेट बंद वस्तुएं खाने से परहेज करना चाहिए।
पोषण अभियान का उद्देश्य महिलाओं किशोरियों और शिशुओं की सेहत को निरोग और बलवान बनाना है। शिशुओं को 6 माह तक केवल और केवल मां का दूध देना चाहिए। शिशुओं को पूरा समय मां का दूध मिल सके।
इसके लिए धात्री माताओं को मां के दूध के फायदे के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि महिलाओं को आयरन व कैल्शियम की गोलियां देने के साथ-साथ कम लागत में उपलब्ध पोषक तत्व के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
साथ ही सभी महिलाओं को पोषण की शपथ दिलवाई गई। महिलाओं को संबोधित करते हुए बताया कि माताओं को बच्चों के स्वास्थ्य व टीकाकरण के बारे में विशेष ध्यान रखना चाहिए और आंगनवाड़ी केंद्र पर स्थित कैंप में अपने बच्चों की स्वास्थ्य जांच अवश्य करवानी चाहिए