लखनऊ। जापान में एक किसान हुए हैं मासानोबू फुकूओका जिन्होंने करीब 65 वर्षों तक बिना जुताई किये, बिना कीटनाशक के छिड़काव किये और बिना खरपतवार हटाए खेती की और दूसरों से अधिक अनाज पैदा किया। मासानोबू फुकूओका पर लिखी गई पुस्तक ‘द वन स्ट्रा रेवोल्यूशन’ के अनुसार उनके खेत में तरह-तरह के पतंगे और मधुमक्खियां उड़ा करती थीं।
पत्तियों को हटाकर देखो तो आपको कीड़े, मकड़ियों, मेंढक, गिरगिट तथा कुछ और छोटे-बड़े प्राणी ठंडी छांव में इधर-उधर भागते नजर आते थे। मिट्टी की सतह के नीचे दीमक और केंचुए छिपे रहते थे। फुकूओका इन्हे अपना दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त समझते थे। इन्हीं की वजह से उनके खेत में दूसरों के मुकाबले अधिक पैदावार होती थी।
फुकूओका खेती करते समय इन चार सिद्धांतों को हमेशा ध्यान में रखते थे, जिससे खेती की लागत भी कम आती थी और पैदावार भी अच्छी होती थी। आज भी किसान अगर इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए खेती करे तो वो भी खेती की लगत को कम कर सकता है और पैदावार बढ़ा सकता है। इसके साथ ही खेत की मिट्टी समय के साथ-साथ ताकतवर होती जाएगी और आज जो हम राशायनिक दवाओं और कीटनाशकों के भरोसे खेती की पैदावार बढ़ाने में लगे हुए हैं उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
सिद्धांत जिन्हें ध्यान में रखकर फुकूओका करते थे खेती पहला सिद्धांत खेतों में कोई जुताई नहीं करना और न ही मिट्टी पलटना। सदियों से किसानों ने यह सोच रखा है कि फसलें उगाने के लिए हल अनिवार्य है। लेकिन प्राकृतिक कृषि का बुनियादी सिद्धांत खेत को न-जोतना है। धरती अपनी जुताई स्वयं स्वाभाविक रूप से पौधों की जड़ों के प्रवेश तथा केंचुओं व छोटे प्राणियों और सूक्ष्म जीवाणुओं के जरिए कर लेती है।