‘प्रेम संबंध तोड़ना रेप नहीं’- शादी का झांसा देने के आरोपी को दी अग्रिम जमानत! पढ़िए खबर 

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने शादी का झांसा देकर एक महिला से शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी है. इस मामले में आरोपी की ओर से पेश वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि अगर पुरुष साथी प्रेम संबंध खत्म करने का विकल्प चुनता है तो रिश्ते में जोड़े के बीच बना शारीरिक संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा।

 

इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने एफआईआर में गवाह द्वारा किए गए दावों पर गौर किया. बेंच ने कहा, ‘विचार करने पर हम अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत की राहत इस निर्देश के साथ देने के इच्छुक हैं कि अपीलकर्ता को गिरफ्तार किए जाने की स्थिति में निचली अदालत द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाएगा.’ बेंच ने कहा, ‘इसके अलावा, अपीलकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438 (2) के आदेश का पालन करेगा।

 

शीर्ष अदालत ने यह भी साफ किया कि अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत देने को मामले के गुण-दोष पर राय की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं माना जाएगा. पीठ ने कहा कि जयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित मामले का फैसला इस आदेश से प्रभावित हुए बिना गुण-दोष के आधार पर और कानून के अनुसार किया जाएगा।

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