यूपी निकाय चुनाव: ट्रिपल टेस्ट के लिए ओबीसी आयोग का दौरा!साल-1995 से आरक्षित सीटों और जीते प्रत्याशियों का जिलों से ब्योरा मांगा
यूपी निकाय चुनाव: ट्रिपल टेस्ट के लिए ओबीसी आयोग का दौरा!साल-1995 से आरक्षित सीटों और जीते प्रत्याशियों का जिलों से ब्योरा मांगा
उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का तय करने के लिए गठित अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली मीटिंग आज शनिवार को गाजियाबाद कलक्ट्रेट सभागार में हुई। इस बैठक में आयोग के सदस्य चोब सिंह वर्मा समेत मंडल के छह जिलों के अधिकारी शामिल हुए।
आयोग सदस्य चोब सिंह वर्मा ने कहा, नौकरी या एडमिशन में जो आरक्षण कोटा था, उससे अलग रखकर हमें ये देखना है कि इस वर्ग का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कितना हुआ। इसके लिए शहरी क्षेत्रों में जो पुराने सर्वे हुए हैं, उनका डेटा मांगा गया है।
पता किया जा रहा है कि साल-1995 से अब तक हुए चुनाव में कितनी सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित हुईं और कितनी सामान्य सीटों पर कितने ओबीसी के लोग जीते। इससे ये बात पता चल पाएगी कि गर्वर्निंग बॉडी में ओबीसी का जनसंख्या के अनुपात में कितना प्रतिनिधित्व है।
आयोग मेंबर ने कहा कि साल-2000 के बाद का डेटा कम्प्यूराइज्ड है, इसलिए वो आसानी से उपलब्ध हो रहा है। इससे पुराना डेटा ढूंढने में थोड़ा मुश्किल जरूर आ रही है। इसके अलावा पुराने जनसंख्या सर्वे भी निकलवाए जा रहे हैं। इसके लिए अर्थ एवं संख्या विभाग और अन्य जनगणना विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। आयोग मेंबर ने बताया कि ट्रिपल टेस्ट की सर्वे रिपोर्ट जल्द ही आयोग अध्यक्ष को प्रेषित की जाएगी।
अब दूसरे मंडलों में होंगी ऐसी बैठकें
दोपहर 12 बजे से शुरू हुई इस बैठक में गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, बागपत, नोएडा और बुलंदशहर के प्रशासनिक अधिकारी, जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी और नगर निगमों के अधिकारी मौजूद रहे। हाईकोर्ट के आदेश पर गठित हुए इस आयोग की ये पहली बैठक है। इसके बाद ऐसी ही बैठकें प्रदेश के दूसरे मंडलों में आयोजित होंगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके कहा था कि हम आरक्षण लागू करवाने के बाद ही चुनाव करवाएंगे।
कितने सामान्य सीटों कितने ओबीसी चुनाव जीते?
बैठक में तीन बिंदुओं पर चर्चा हुई। पहला बिंदू है कि साल-1995 से अब तक नगर निकाय चुनाव में कितने वार्ड पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुए। दूसरा बिंदू है कि सामान्य सीटों पर कितने सदस्य पिछड़ा वर्ग के जीते और तीसरे बिंदू में जिले में ट्रांसजेंडरों की स्थिति जानी गई है।
अब तक क्या-क्या हुआ?
5 दिसंबर 2022 को उप्र शासन ने नगर निकायों के आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी।
रायबरेली के सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय इस अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए।
26 दिसंबर को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुनाया कि ओबीसी आरक्षण के बिना ही नगर निकाय चुनाव कराए जाएं। इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर के नोटिफिकेशन को रद कर दिया। साथ ही ये भी कहा कि अगर आरक्षण तय करना है तो ट्रिपल टेस्ट करवाना ही होगा।
26 दिसंबर को ही योगी सरकार ने फैसला लिया कि बिना आरक्षण चुनाव नहीं करवाएंगे। अगले दिन ही सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन कर दिया, जो सभी जिलों में ट्रिपल टेस्ट करेगा।
इधर, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई और 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने की बात कही थी साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निकाय चुनाव 31मार्च तक टालने की इजाजत दे दी।