आपने कभी अपने कानों में असामान्य सी घंटी या सीटी बजने का अनुभव किया है। अचानक से बैठे-बैठे कानों में तेज सीटी सी बजने लगती है और थोड़ी देर बाद सबकुछ नॉर्मल हो जाता है। कई बार कानों में इस तरह की आवाज सुनाई देना आम है, लेकिन अगर ऐसा बार-बार हो रहा है , तो यह स्थिति खतरनाक भी हो सकती है। जब किसी मरीज के कान में गुंजन या किसी अजीब सी आवाज का अनुभव हो, तो उसे टिनिटस कहते हैं।
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इसमें व्यक्ति को अपने आस पास कोई आवाज न होने के बावजूद भी तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं, जो आपके कान के भीतर से ही आती हैं। ऐसा ईयर सेल्स के डैमेज होने के कारण होता है। इसके अलावा विभिन्न जोखिम कारक जैसे उम्र, लिंग, जीवनशैली, आवाज के संपर्क में आने से टिनिटस हो जाता है। यदि समय पर इसका इलाज न कराया जाए, तो व्यक्ति डिप्रेशन में तक जा सकता है।
कई बार गंभीर टिनिटस वाले लोगों को सुनने , काम करने या सोने में समस्या का समाना करना पड़ सकता है। वैसे तो इस स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टर अपने स्तर पर दवाएं लिखते हैं, लेकिन यहां हम अपको कुछ ऐसे आसान से तरीके बता रहे हैं, जिनसे आप टिनिटस की परेशानी वाली स्थिति को रोक सकते हैं।
टिनिटस के लक्षणअगर आपके कान बज रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आप टिनीटिस के शिकार हो गए हैं इससे पहले की आपके सुनने की क्षमता कम हो जाए, हाई वॉल्यूम पर गाना सुनना या टीवी देखना कम कर दें। विशेषज्ञ कहते हैं कि लंबे समय तक तेज म्यूजिक या आवाज सुनने से टिनीटिस हो सकता है। इसलिए जब भी आप ईयरफोन या हेडफोन लगाकर काम करें ,
तो वॉल्यूम को एक नंबर पर सेट कर लें।
कानों की सुरक्षा करेंयदि आप ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें न चाहते हुए भी तेज आवाज के आसपास रहना पड़ता है, तो अपने कानों को सुरक्षा करना बेहद जरूरी है।
अपनी जीवनशैली को विनियमित करेंटिनिटस से बचने और समग्र स्वास्थ्य को सक्षम बनने के लिए अपनी जीवनशैली को विनियमित करें। बुरी आदतों को दूर रखें, स्वास्थ्य जटिलताओं से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें , शराब के सेवन से बचें और धूम्रपान से दूरी बनाए रखें।
टिनीटिस कोई बीमारी नहीं बल्कि एक लक्षण है, जिसका कोई सरल इलाज नहीं है। यह एक संकेत है कि आपने सुनने के तंत्र में कुछ गड़बड़ है। विशेषज्ञों के अनुसार, अक्सर लोग अपने कान और नाक से जुड़ी समस्या को मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं।
लेकिन, यह आदत बेहद खतरनाक हो सकती है। जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके इससे बचा जा सकता है। फिर भी लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संर्पक करना चाहिए।