आईएनएस विक्रांत: जो शूरवीर है वही विक्रांत है, ऋग्वेद से लिया गया है इसका ध्येय वाक्य
शुक्रवार (2 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी विमान वाहक जहाज़ विक्रांत का जलावतरण किया है। आज बात विक्रांत के नाम और उसके आदर्श वाक्य की। विक्रांत का अर्थ होता है योद्धा, विक्रांत का अर्थ है साहसी। जो शूर वीर है, वह विक्रांत है। जो विजेताओं पर भी विजय पा ले, वह विक्रांत है। विदुषी मदालसा के भी एक पुत्र का नाम विक्रांत था।
वहीं श्रीमद्भगवद्गीता (1.6) में पांचाल योद्धा युधामन्यु को विक्रांत कहा गया है। गीता में कहा गया है, “युधामन्युश्च विक्रांत उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।” युधामन्यु ने ही कर्ण के भाई चित्रसेन का वध किया था।
विक्रांत का आदर्श वाक्य भी बहुत सोच-समझकर चुना गया है।
विक्रांत का आदर्श वाक्य है: जयेम सं युधि स्पृधः (हम युद्ध में शत्रुओं पर पूर्ण विजय पाएं)
इसे ऋग्वेद (1.8.3) से लिया गया है। इस ऋचा में ऋषि मधुछन्दस वैश्वामित्र, भगवान इन्द्र से विजय दिलाने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं-
इन्द्र त्वोतास आ वयं वज्रं घना ददीमहि|
जयेम सं युधि स्पृधः ||
अर्थात् हे इन्द्र, आपसे रक्षा पाकर, हम वज्र और शस्त्र का उपयोग करें। हम युद्ध में शत्रुओं पर पूर्ण विजय पाएं।
आज ही भारत ने औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने की ओर भी एक क़दम बढ़ाया है। नौसेना ने अपने जिस नए प्रतीक का अनावरण किया है, उसमें भारतीय नौसेना के पितामह माने जाने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा के अष्टकोणीय डिज़ाइन को भी जगह दी गई है। ये आठ कोण नौसेना की आठ दिशाओं में सजगता, सक्रियता दिखाते हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस नौसेना का गठन किया था वह अपने समय की अद्वितीय नौसेना थी। इसी नौसेना के कारण मराठों के दुश्मन उनके अहम ठिकानों पर कब्ज़ा नहीं कर पाए।