ईद पर अयोध्या में गले मिलकर महंत सत्येंद्र दास ने बाबरी मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को दी बधाई
ईद पर अयोध्या में गले मिलकर महंत सत्येंद्र दास ने बाबरी मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को दी बधाई।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में ईद और अक्षय तृतीया के मौके पर धार्मिक सौहार्द्र की शानदार मिसाल देखने को मिली. एक तरफ बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग जहां मस्जिदों और ईदगाह में ईद की नमाज अदा कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ अक्षय तृतीया जैसे महत्वपूर्ण दिन पर लाखों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन और पूजा कर रहे थे.
इस दौरान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के घर पहुंचे और उन्हें ईद की बधाई दी. वहीं इकबाल अंसारी ने भी माला पहनाकर कर उनका स्वागत किया. उन्होंने सत्येंद्र दास को फल खिलाकर अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती की बधाई दी.
आचार्य सत्येंद्र दास और इकबाल अंसारी के गले मिलने की तस्वीरों ने लोगों का दिल जीत लिया. लंबे समय तक अयोध्या में चले मंदिर-मस्जिद विवाद की चर्चा तो खूब हुई थी लेकिन अयोध्या का वह सच गुमनाम सा हो गया था, जिसके लिए अयोध्या जानी और पहचानी जाती थी.
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास उन दिनों को याद कर कहा कि हमारे गुरु महाराज अभिराम दास और बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के पिता दोनों एक ही तांगे पर बैठकर एक साथ मुकदमा लड़ने कचहरी जाते थे. यही नहीं राम मंदिर आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले दिगंबर अखाड़े के महंत रामचंद्र परमहंस और हाशिम अंसारी में भी गहरी दोस्ती थी और एक साथ आना जाना होता था.
बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे हाशिम अंसारी का जब निधन हुआ था तो उनके जनाजे में हिंदुओं और अयोध्या के साधु-संतों की भीड़ उमड़ गई थी.
इकबाल अंसारी ने कहा कि हमलोग हमेशा अयोध्या के साधु-संतों के बीच रहते हैं. दोनों समुदायों के बीच कभी कोई विवाद नहीं हुआ, यही कारण है कि अयोध्या में हम एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं.
अयोध्या वह धर्मनगरी है जहां क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम या फिर सिख- ईसाई सभी साथ रहते हैं. धर्म और मजहब को लेकर यहां कोई विवाद नहीं है.
अयोध्या में एक तरफ सरयू नदी बहती है जिसके किनारे हनुमान जी का मंदिर है तो वहीं दूसरी तरफ मस्जिद -मजार और गुरुद्वारा भी है.