खास हौज़ जौनपुर वन्य जीव अभ्यारण~
`~खास हौज़ जौनपुर वन्य जीव अभ्यारण~
जौनपुर उत्तरप्रदेश का एक अदभुद, अनोखा शहर हैं क्यों कि ये शहर मुगलों के आने से पहले बसाया जा चुका था । आज भी यहां सैकड़ों सैलानी आते है ।
यहा का किला, यहा की मस्जिद, यहा का शाही पुल और पुराने रौज़े सब के सब अपने आप में एक इतिहास है। हम बात करेंगे यहा के एक छोटे स्थान की जो शहर में स्थित है ,
ख़ास हौज़ ये दिल्ली का हौज़ ख़ास नही जौनपुर का ख़ास हौज़ है। पूरे शहर में इसे ख़ास हौज़ के नाम से जाना जाता है। खास हौज़ से सटे स्थान सब अपने आप में अनोखे रूप में आपको दिखाई देंगे । एक मात्र यहा अनेको प्रकार के पंक्षी,जीव–जन्तु जैसे–लोमड़ी, साही, बतख, हंस, सारस, गिद्ध, तलाव चिड़िया, मोर, साप, अजगर, खरगोश, कबर बिज्जू, जंगली गाय,चमगादड़,मगर गोह सब यहां वास करते थे।आज के समय में देखा जाए तो यहा आधे–अधूरे तालाब, झाड़, पेड़–पौधे, भीटे (मिट्टी के ऊंचे–नीचे छोटे पहाड़) जैविक सुंदरताए सब के सब लुप्त के कगार पर है।
आने वाला कल ना तो कोई तालाब,ना ही कोई भीटे (मिट्टी के ऊंचे–नीचे छोटे पहाड़),ना ही कोई जीव जन्तु,ना ही किसी प्रकार के पक्षी दिखने वाले 70%–80% पक्षी,जीव जन्तु और तो और पेड़–पौधे यहा पाए जाते थे सब लुप्त हो चुके हैं।
खास हौज़ का नाम बदल कर कोई ना कोई छोटे–छोटे मोहल्ले में तब्दील कर दिया जाएगा और मानव अपनी इस उपलब्धि का जश्न भी मनाएगा।
पर ये भूल रहे है आने वाले समय में जो जीव जन्तु हमे इस खास हौज़ पर नज़र आते थे वही कल हम उनको लखनऊ, मुंबई, बैंगलोर जैसे बड़े शहर के चिड़ियाघर,वन्य बिहार,पक्षी अभ्यारण आदि स्थानों पर देखने जाएंगे और जो झाड़, पेड़–पौधे हम अपने चारों ओर देख रहे है वो कल सोनभद्र,शिमला,झारखंड, छत्तीसगढ़ जैविक उद्यान जैसे स्थानों पर देखने जाएंगे, जो जौनपुर शहर का एक मात्र जीव जन्तु, पंक्षियों के ठहरने के लिए,जीने के लिए,रहने के लिए जगह थी वो तो हम वहा जमीन पर घर बनवाने,शिकार करने, प्लाटिंग करने,तालाब को खत्म करने,भीटे की मिट्टी को बेचने में लगे हुए हैं।
और तो और ना जाने कितनी हत्याएं वहा होने लगी है। काश 10 से 20 वर्ष पहले का खास हौज़ जिन्दा होता तो यकीनन हमे आज ये लिखना ना पड़ता।
कही ना कही बड़ी चूक हुई है शासन से काश ये पहले ही इसको बचाया जा सकता पर कोई ऐसा क्यों करता,ना तो जीव जन्तु उनको वोट देंगे ना ही पेड़ पौधे। फिर क्या होता खास हौज़ का आज के समय में जो दृश्य है, वो ना ही देखने लायक ना ही छुपाने।
आज का खास हौज़ स्वच्छता अभियान के विपरीत योगदान दे रहा हैं। सैकड़ों लोग वहां शौच के लिए ही जाते है।
जौनपुर के खास हौज़ पर जो विनाश की लहर दिख रही है उनके प्रमुख कारण हो सकते है जैसे–बढ़ता मानव विकास,झाड़–पेड़ का कटाव,भीटे की मिट्टी का कटाव,घटता पानी का तालाब,बढ़ता प्लाटिंग, लुप्त होता जीव जन्तु, पंक्षी,पेड़ पौधे आदि।
अगर ये सब ना होता तो यकीनन आज के समय में शहर का अपना एक जीव जन्तु अभ्यारण या तो एक सुंदर पर्यटन स्थल ही होता जहा सभी के लिए लाभप्रति होता चाहे जीव जन्तु हो, पेड़ पौधे या मानव जाति।
हम सभी शहरी लोगों को देखने को मिलता जिससे हजारों सैलानी अलग–अलग जिला से हमारे जौनपुर के खास हौज़ आते।
खास हौज़ को तीनों तरफ से घेरे भीटे आज भी खास हौज़ के बीच में एक छोटा टापू दिखाई पड़ता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरताए आज भी जिन्दा है।बस उसको हम सबको मिलकर संरक्षित बनाए रखना होगा।
एक बात और 20 मार्च को सिर्फ विश्व गौरैया दिवस या 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने वाले कहा हैं? सिर्फ लेख पढ़ने से कुछ नही होने वाला जबतक वो अपने शहर में पर्यावरण के लिए खड़े नही होंगे।
जिस तरह शाकाहारी रहने के लिए शाक और मांसाहारी रहने के लिए मास को लोग खाते है, मैं कहता हूं उन शाकाहारी जानवरों के लिए कुछ शाकाहारी स्थान और मांसाहारी जानवर के लिए शाकाहारी जानवर रहने चाहिए जिससे खाद्य श्रृंखला(food chain) बनी रहे और परिस्थितिकी तंत्र(ecosystem) चलता रहे।
मो•इश्तियाक(जौनपुर)
मो:-7275787702