गुवाहाटी: कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है, लेकिन विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी से नेताओं का पलायन जारी है. अब असम में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव कमरुल इस्लाम चौधरी ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने असम कांग्रेस के दिशाहीन और भ्रमित नेतृत्व का हवाला देते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से रविवार को इस्तीफा दे दिया. कमरुल इस्लाम ने एआईसीसी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा.
उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘पिछले कुछ महीनों के दौरान एपीसीसी के दिशाहीन और भ्रमित नेतृत्व के कारण असम में कांग्रेस पार्टी की वर्तमान अस्थिरता ने मेरे लिए आईएनसी के सदस्य के रूप में बने रहने का कोई कारण नहीं छोड़ा है.’ राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वालों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिए जाने पर भी कमरुल इस्लाम चैधरी ने अपने त्यागपत्र में नाराजगी जताई है. उन्होंने लिखा है, ‘
हाल ही में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी नेताओं ने क्रॉस वोटिंग की. उन्होंने खुद यह बात स्वीकार भी की. एपीसीसी अध्यक्ष भूपेन बोरा सहित राज्य के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं ने ऐसे विधायकों को सार्वजनिक रूप से गद्दार तक कहा, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस बात ने मेरे जैसे हजारों जमीनी कार्यकर्ताओं को निराश किया है, जिन्होंने वर्षों तक पार्टी के लिए अपना खून-पसीना दिया है.’
कांकमरुल इस्लाम चौधरी ने उपरोक्त वजहों को कांग्रेस से अपने इस्तीफे का प्रमुख कारण बताया है. वह असम प्रदेश युवा ग्रेस के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के राष्ट्रीय सचिव भी थे. उन्होंने सोनिया गांधी को संबोधित अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘असम में कांग्रेस पार्टी के अंदर जिस तरह का माहौल है, उसने मुझे यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया. अनुशासनहीन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है. इसलिए, मैं एपीसीसी के महासचिव पद और कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं.’
बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का एक समूह भी है, जो पार्टी में कुछ बड़े परिवर्तनों की मांग करता है. इस समूह G-23 को नाम दिया गया है, जिसमें अधिकतर ऐसे नेता शामिल हैं, जो बीते दशकों में राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का चेहरा रहे हैं. G-23 के गुलाम नबी आजाद, अश्विनी कुमार, कपिल सिब्बल, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह पहले ही पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं. सुनील जाखड़ ने भी कुछ समय पहले कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. मनीष तिवारी पार्टी में दरकिनार हैं. शशि थरूर भी इस समूह के सदस्य हैं. इसी G-23 ने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी.