घर के भोजन में छिपा होता है निस्वार्थ प्रेम संस्कार और पोषण–स्वामी उमादास जी महाराज

घर के भोजन में छिपा होता है निस्वार्थ प्रेम संस्कार और पोषण–स्वामी उमादास जी महाराज

रिपोर्ट–अमित पांडेय

महराजगंज।क्षेत्र के भटपुरा स्थित बाबा परमहंस विद्यालय में चल रहे नौ दिवसीय राम कथा के दूसरे दिन व्यास स्वामी उमादास जी महराज ने राम के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके कृत्यों को मानव जीवन में उतारने के लिए कहा श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मां के हाथों के भोजन में निःस्वार्थ प्रेम के साथ-साथ संस्कार और पोषण छुपा होता है।मां निस्वार्थ भाव से अपने परिवार और.बेटे के लिए भोजन बनाती है। ऐसे में मां के भोजन से बच्चों में निस्वार्थ प्रेम संस्कार नैतिकता का विकास होता है।जबकि होटल के भोजन को बनाने वाला रसोईया अपनी मेहनत का फल प्राप्त करने के लिए भोजन बनाता है।ऐसे मैं इस भोजन में निस्वार्थ प्रेम और संस्कार लुप्त हो जाता है।यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता की व्याख्या करते हुए कहा भारतीय संस्कृति मे नांरिया सदैव पूज्य होती है।नारियां दो कुलो परिवारों को संस्कार मर्यादा नैतिकता और धर्म की शिक्षा प्रदान करती है।इन माताओं द्वारा डाली गई नींव पर बच्चों के भविष्य का संस्कार निर्भर करता है।धर्म की स्थापना व अधर्म के विनाश के लिए महिला शक्ति सदैव सामने आई है।भगवान अपने भक्तों से प्रेम करते हैं।आयोजक सोनू सिंह व्यवस्थापक अखिलेश यादव द्वारा आरती व प्रसाद का वितरण किया गया।मौके पर शेर बहादुर यादव अध्यापक भोला सेठ, जय सिंह यादव, छोटे लाल,पंकज कुमार, अंबुज यादव,दिनेश यादव,कृष्ण कुमार सहित सैकड़ों श्रद्धालु रहे।

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