चाय पीने के भी सुनने पड़ते हैं ताने, यह हकीकत है साहब, इसे माने, खुद को सबकुछ समझने वालों का अनैतिक व्यवहार, करता है बड़े-बड़ों को शर्मसार

चाय पीने के भी सुनने पड़ते हैं ताने, यह हकीकत है साहब, इसे माने,

खुद को सबकुछ समझने वालों का अनैतिक व्यवहार, करता है बड़े-बड़ों को शर्मसार

रिपोर्ट–मोहम्मद अरसद

केराकत।यदि संत महात्माओं के वचन पर विचार किया जाय तो, स्वार्थवश किया गया उपकार नैतिक मूल्यों के विपरीत होता है परन्तु अब समय बदल गया है साहब, समाज में ऐसे लोग भी हैं जो बहुत कुछ नहीं खुद को सबकुछ समझते हैं, सिर्फ चाय पिलाकर अपनी मनमानी करवाने को अपना हुनर समझते हैं। पर वे यह नहीं जानते कि इसी समाज में सम्मानित पदों पर बैठे हुए ऐसे लोग भी हैं, जो अपने नैतिक जिम्मेदारियों से समझौता बर्दाश्त नहीं करते हैं। चाहे वह सरकारी अथवा गैर सरकारी पदाधिकारी क्यों न हों। उपरोक्त सुविचारों का आदान- प्रदान पूर्व सभासद रहे मोहम्मद असलम खाँन के आवास पर रविवार की शाम एक चाय पार्टी के दौरान हुआ।जिसमे सामाजिक खामियो को उजागर कर ऐसे लोगों से बचकर रहने को कहा गया, जो कुछ करके अधिक जतानें वाले हैं।
इस मौके पर नगर के तमाम सम्मानित लोग उपस्थित रहे।

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