जानिएअब हरतालिका तीज कल जानिए क्या है महत्व और पूजन विधि, शुभ मुहूर्त
जोधपुर. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया 30 अगस्त को हरतालिका तीज के रूप में मनाई जाएगी। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की कामना और सौभाग्यवती महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निराहार और निर्जला व्रत रखेगी। हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज के दिन भी मां पार्वती और भगवान शंकर की पूजा की जाती है। जोधपुर में मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड राज्यों तथा नेपाल की प्रवासी महिलाएं हरितालिका तीज धूमधाम से मनाती है।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि 29 अगस्त को दोपहर 3.20 बजे से 30 अगस्त की दोपहर 3.33 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को सुबह 6.05 बजे से 8.38 बजे तक रहेगा। सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व माना गया है।
हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें: गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद ।मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी.
हरतालिका तीज की पूजन विधि
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं। दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें। शिवजी को वस्त्र अर्पित करें। अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें। इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें। अब भगवान की परिक्रमा करें। रात को जागरण करें.। सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें। सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी