जानिए अच्छे पति की कामना के लिए किया जाने वाला हरतालिका तीज कब है, इसकी पुरी कथा-मुहूर्त

जानिए मां पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत कर पति रुप में शिव जी को पाया था। और जन्म-जन्मांतर तक भगवान शिव को ही पति रुप में पाया था। तभी से अमर सुहाग का तीक हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करने लगी है। इस साल भी 30 अगस्त को हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग में हरतालिका तीज मनाई जाएगी।

 अमर सुहाग का प्रतीक हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करने लगी है। इस साल भी 30 अगस्त को हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग में
सुहाग की अमरता और शिव के जैसा पति की कामना के उद्देश्य से तीज का व्रत करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। 

 जानिए धर्मशास्त्रों के अनुसार इस व्रत को मां पार्वसुहाग की अमरता और शिव के जैसा पति की कामना के उद्देश्य से तीज का व्रत करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस व्रत को मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में प्राप्ति के लिए किया था। हजारों हजार साल के कठोर तप के बाद मां पार्वती को भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी।हजारों हजार साल के कठोर तप के बाद मां पार्वती को भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी।हरतालिका तीज का व्रत शुभ मुहूर्त हरितालिका तीज 30 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार है,  

हरतालिका तीज का व्रत शुभ मुहूर्त हरितालिका तीज 30 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार है, इस दिन  चित्रा नक्षत्र और शुभ योग उसके बाद शुक्ल योग में हरितालिका तीज की पूजा होगी। चन्द्रमा कन्या उपरांत तुला राशि में रहेंगे।
हरतालिका तीज व्रत अगस्त 2022
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ- 29 अगस्त 2022 सोमवार, दोपहर 03.20 बजे से

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समापन- 30 अगस्त 2022 मंगलवार,दोपहर 03.33 बजे तक

सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05- 08.38 बजे तक

सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05- 08.38 बजे तक
गोधूलि बेला- 06:07 PM से 06:31 PM निशिता काल- 11.32 PM से 12.18 AM, 31 अगस्त
रवि योग- 05:38 AM से 11:50 PM, 03:31 AM, Aug 31 से 05:38 AM, Aug 31

हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए निर्जला रहकर व्रत रखती हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ इस दिन भगवान शिव और 
पार्वती की उपासना करती हैं। मिट्टी बालू से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर व्रत रखती है। सखियों द्वारा हरित मां पार्वती ने इस कठोर व्रत को किया था, 

हरतालिका तीज पर स्त्रियां निरजला व्रत रख घर की सुख शांति और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. इस दिन सुबह की पूजा के बाद महिलाएं सोलह ऋंगार कर प्रदोष काप्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं।
इस दिन सुबह स्नादि के बाद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की नियमित रूप से पूजा कर निर्जला व्रत का संकल्प लें।

सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिवऔर मां पार्वती का षोडशोपचार विधि से पूजन करें। भगवान शिव को वस्त्र और देवी पार्वती को सुहाग की सभी वस्तुएं अर्पित करें। पूजा के बाद इन वस्तुओं को हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें और आरती कर रात्रि जागरण करें। इस दौरान पूरी रात जाग कर देवी-देवताओं के भजन कीर्तन करना चाहिए। अगले दिन सुबह स्नान के बाद

पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है।हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा

पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है।हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवाइस दिन सुबह स्नादि के बाद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की नियमित रूप से पूजा कर निर्जला व्रत का संकल्प लें। सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिवहर तालिका तीज की कथा हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने

इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई।

इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का  निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की

 

 

 


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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