भारत में अक्टूबर का महीना काफी खुशनुमा होता है. देश के कोने-कोने में कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है. हर त्यौहार का नजारा अलग ही होता है. शारदीय नवरात में दक्षिण भारत में होने वाले प्रसिद्ध ‘गोलू’ या गोलू बोम्मई में इस बार नजारा अलग है. ये नज़ारा उत्तर भारत और दक्षिण भारत के मिलन का है.वजह ये है कि ‘गोलू’ में घर-घर सजाई जाने वाली गुड़ियों में इस बार वाराणसी के जीआई टैग लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है.
लकड़ियों से बनी मूर्तियों और गुड़िया का खूब मांग है. काशी के लोलार्क कुंड में लकड़ी के खिलौनों के कारीगरों में इन मूर्तियों और गुड़ियों को बनाया है. वाराणसी के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और जीआई टैग के अंतर्गत आने वाले लकड़ी के खिलौनों की मांग इस बार दक्षिण भारत के गोलू फेस्टिवल में देखी जा सकती है. तरह तरह की देव-देवी मूर्ति और लकड़ी की गुड़िया, वहां की परम्परागत मूर्तियों के साथ सजी नज़र आ रही है.दक्षिण भारत के त्योहार में बनारसी लकड़ी की गुड़िया
दक्षिण भारत में होने वाले 10 दिन तक चलने वाले गोलू फेस्टिवल की शुरुआत 26 सितंबर को हुई है. .ये त्योहार गुड़ियों को सजा कर रखने और उनके सामने गीत गाने के लिए जाना जाता है. इस बार गोलू त्यौहार में दक्षिण की परम्परागत गुड़ियों और खिलौनों के साथ .बनारस के लकड़ी उद्योग के खिलौने एवं मूर्तियों को भी देखा जा सकेगा. यूपी में पूर्वांचल के लकड़ी उद्योग के कारीगरों के लिए ये काफी खास बात है क्योंकि अब तक बनारस की लकड़ी के खिलौने और गुड़िया उत्तर भारत में पसंद की जाती रही हैं. हालांकि पहले भी बनारसी लकड़ी और गचकारी के खिलौने दक्षिण भारत के. लोग पसंद करते रहे हैं. इस बार इन गुड़ियों की मांग बढ़ी है. नारस के कारीगरों ने किए हैं कई बदलाव
गोलू फेस्टिवल में सजावट के लिए रखी मूर्तियों में बनारस के लकड़ी के खिलौनों को इस बार पसंद किया का रहा है. ये..खिलौने अपनी कारीगरी और सुंदरता की वजह से पसंद किए जा रहे हैं. खास बात ये है कि पिछले कुछ समय में इनके ऊपर पॉलिश किए जाने वाले रंगों में काफी प्रयोग कि.साथ ही पौराणिक कथाओं से जुड़े पात्र और घटनाओं पर आधारित मूर्तियों का भी खूब चलन है. बनारस के लोलार्क कुंड में लकड़ी के खिलौने और गुड़िया के कारोबारी बताते हैं कि दक्षिण भारत की परिवेश से मिलती जुलती मूर्तियों को बनाने का ऑर्डर गोलू फेस्टिवल के लिए बनारस के कारीगरों को मिला था. भगवान की भाव भंगिमा वाली मूर्तियां हैं खास पसंद
गोलू फेस्टिवल में राजा, राजा का हाथी, घोड़े बहुत पसंद किए जाते हैं. लोलार्क कुंड के प्रमुख खिलौना कारोबारी बिहारी लाल अग्रवाल बताते हैं कि, “जब से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लकड़ी के खिलौने के जब से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लकड़ी के खिलौने के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया है. तब से इसकी मांग देश और विदेशों में ज़्यादा बढ़ी है. पर हम लोग डिमांड के मुताबिक इन गुड़ियों और खिलौने में बदलाव भी करते हैं, जिससे ये सभी तरह के लोगों को पसंद आ सकें.
खिलौनों की सजती है झांकी, होता है उत्सव गुड़ियों और खिलौनों की सजती है झांकी, होता है उत्सव गोलू यानी ‘फेस्टिवल ऑफ़ डॉल्स’ दक्षिण भारत में शरद ऋतु में पड़ने वाले शारदीय नवरात्र में मनाया है कि 10 दिनों तक मैसूर के राजा अलग-अलग प्रांतों के मुख्य लोगों के साथ सीढ़ी नुमा जगह पर बैठ कर दशहरा का उत्सव मनाते थे. इसलिए इसकी झांकी सीढ़ी के आकार की होती है, जिस पर सबसे ऊपर राजा और रानी को रखा जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि इसी दौरान महिषासुर नामक राक्षस का अंत चामुंडा देवी ने किया था, इस ख़ुशी में ये त्योहार मनाया जाता है और मां पार्वती की विशेष मान्यता है.