जौनपुर।भानपुर के श्री करुणाकर करुणानन्द सरस्वती जी महाराज दंडी स्वामी नही रहे, अंतिम दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़, भक्तो में शोक
जौनपुर।भानपुर के श्री करुणाकर करुणानन्द सरस्वती जी महाराज दंडी स्वामी नही रहे, अंतिम दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़, भक्तो में शोक
जौनपुर। जिले के मडियाहू तहसील में स्थित सुरेरी थाना क्षेत्र के भानपुर गांव में बने करूणाकर आश्रम के मठाधीश श्री करूणाकर करूणानंद सरस्वती डंडी महाराज का आकस्मिक निधन सोमवार की शाम इलाज के दौरान हो गया वह लगभग 60 वर्ष उम्र के थे। श्री करुणाकर करुणानंद सरस्वती जी महाराज का प्रयागराज से लौटते समय जौनपुर में दिल का दौरा पड़ने से अचानक तबीयत खराब हो गई उन्हें वाहन में बैठे शिष्यों ने तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उनकी आकस्मिक निधन हो गया।
महाराज जी की आकस्मिक निधन की खबर सोमवार की देर शाम भानपुर ग्रामवासियों को मिलते ही पूरा क्षेत्र शोकाकुल हो गया। जो जहां था वहीं से महिला हो अथवा पुरुष डंडी स्वामी के लिए रोते बिलखते आश्रम की तरफ अंतिम दर्शन के लिए चल पड़े। देखते ही देखते सुरेरी, रामपुर, बरसठी, नेवढ़िया थाना के प्रशासन समेत भारी संख्या में डंडी स्वामी के भक्त आश्रम पर पहुंच गए। देर रात आश्रम पर अस्पताल से उनके शव को लाया गया जहां भक्तों का अंतिम दर्शन पाने के लिए तांता लगा रहा।
बता दे कि श्री करूणाकर करूणानंद सरस्वती डंडी महाराज जी एक मिलनसार हंसमुख व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे। वर्ष 2002 में डंडी महाराज अपने एक शिष्य के माध्यम से यज्ञ करने के लिए भानपुर गांव में मां दुर्गा की शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने वाले मंदिर पर पहुंचे। महाराज के हंसमुख व्यक्तित्व को देखते हुए ग्रामीणों ने भारी संख्या में यज्ञ में शामिल हुए। बताते हैं कि यज्ञ से भानपुर गांव में आमूल चूल परिवर्तन हुआ। इसके बाद भक्तों ने डंडी महाराज से यही मंदिर में ही रहने का निवेदन किया भक्तों के इस निवेदन को डंडी महाराज ने स्वीकार कर अपना डेरा वही जमा लिया और देखते ही देखते वह मां दुर्गा की शक्ति पीठ को करूंणाकर करूणानंद आश्रम में तब्दील कर दिया और भक्तों के चहते बन गई। बताते तो यहां तक है कि ग्रामीण हो या उनके भक्त जो भी उनके आश्रम में पहुंचता था किसी दुःख तकलीफ को लेकर उनकी वाणी से जो निकलता था वही सच हो जाता था। यही कारण था की जो भी थानाध्यक्ष उस क्षेत्र में आता था वह उनके आश्रम का दर्शन जरूर करता था, यही नहीं दंडी महाराज बच्चों के प्रेमी थे मंदिर में जो भी प्रसाद चढ़ता था वह बच्चों के लिए बांट देते थे। इसलिए बच्चे उनके चहेते बन गए थे।
दंडी महाराज की अंतिम इच्छा ग्रामीणों के बीच क्या थी
करूणाकर करूणानंद सरस्वती डंडी महाराज के बारे में ग्रामीणों की माना जाए तो महाराज जी हमेशा भक्तों से कहते थे कि भानपुर गांव के लोगों ने मुझे इतना प्रेम दिया कि मैं नहीं चाहता कि मेरे अंतिम शरीर को कहीं अन्यत्र ले जाया जाए इसलिए जब भी मेरी समाधि बनी तो इसी आश्रम प्रांगण में ही बने। और उनके भक्त भी उनकी अंतिम इच्छा को अक्षरशः पूरा करने का आश्वासन भी देते थे।
दंडी महाराज जी के विश्व गुरु शंकराचार्य के आने की प्रतीक्षा
करूणाकर करूणानंद सरस्वती डंडी महाराज के मौत की सूचना उनके गुरु महाराज शंकराचार्य जी महाराज दिल्ली को दे दिया गया है मंगलवार की शाम तक महाराज के आने की सूचना मिल रही है।तब तक उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके शव को आश्रम में ही रखा गया है।क्षविश्व गुरु शंकराचार्य जी महराज के आगमन के बाद संत समाज द्वारा उनकी समाधि स्थल बनाने का निर्णय लिया जाएगा।