जौनपुर : बीजेपी ने घोषित किया नया जिला अध्यक्ष, अजीत प्रजापति को मिली कमान
जौनपुर।
जिले की राजनीति में बुधवार की देर रात एक बड़ा और लंबे समय से प्रतीक्षित बदलाव सामने आया। भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार जौनपुर जिले के नए जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी। पार्टी ने संगठनात्मक मंथन और व्यापक समीक्षाओं के बाद अजीत प्रजापति को जौनपुर का नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। देर रात जारी हुई प्रदेश इकाई की सूची में उनके नाम की पुष्टि होते ही जिले भर के भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई।
कई महीनों से चल रहा था मंथन
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पिछले कई महीनों से जिले के नए जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर संगठन स्तर पर विचार-विमर्श जारी था। प्रदेश नेतृत्व, संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों और विभिन्न मोर्चा—प्रकोष्ठों से फीडबैक लेने के बाद अंततः अजीत प्रजापति पर सहमति बनी।
संगठन में उनकी लंबे समय से सक्रिय भूमिका, बूथ स्तर तक उनकी पकड़, समाज के विभिन्न वर्गों में उनकी स्वीकार्यता और जमीनी कार्यकर्ताओं से जुड़ाव उनके पक्ष में प्रमुख कारण रहे।
जिले में जश्न का माहौल
घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़ आ गई। पार्टी के विभिन्न मंडलों, शक्ति केंद्रों और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया।
जिले के कई हिस्सों में मिठाइयाँ बांटी गईं, ढोल-नगाड़ों की धुन पर कार्यकर्ताओं ने खुशी जाहिर की। नवनियुक्त जिलाध्यक्ष के आवास पर देर रात तक शुभकामनाएँ देने वालों का तांता लगा रहा। कार्यकर्ताओं ने इसे संगठन को मजबूती देने वाला कदम बताया।
अजीत प्रजापति ने जताया आभार, बताए प्राथमिक लक्ष्य
नवनियुक्त जिलाध्यक्ष अजीत प्रजापति ने प्रदेश नेतृत्व और पार्टी संगठन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे इस जिम्मेदारी को चुनौती और अवसर—दोनों रूप में देखते हैं।
उन्होंने कहा—
“हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न को जन—जन तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संगठन को मजबूत करना, हर बूथ को सशक्त बनाना और आगामी लोकसभा—विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियों को गति देना हमारी प्राथमिकता होगी।”
राजनीतिक हलचल भी तेज
बीजेपी के इस फैसले को जिले में नई ऊर्जा का संचार माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति आगामी चुनावी तैयारियों को ध्यान में रखकर की गई एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चाल है, जो बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत कर सकती है।
जिले की राजनीति में इस बदलाव को लेकर चर्चाएँ तेज हैं, और आने वाले दिनों में संगठनात्मक गतिविधियों में तेजी देखने की उम्मीद है।



