जौनपुर: रोडवेज एआरएम के दुर्व्यवहार से पत्रकारों में उबाल, ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने प्रशासन को सौंपा 5 सूत्रीय ज्ञापन

जौनपुर: रोडवेज एआरएम के दुर्व्यवहार से पत्रकारों में उबाल, ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने प्रशासन को सौंपा 5 सूत्रीय ज्ञापन

🗓️ तारीख: 27 अगस्त 2025📍 स्थान: जौनपुर, उत्तर प्रदेश

पत्रकारों से दुर्व्यवहार का आरोप, रोडवेज व्यवस्था पर भी सवाल

जौनपुर में पत्रकारिता जगत उस समय आक्रोशित हो उठा जब रोडवेज की एआरएम (Assistant Regional Manager) ममता दुबे पर पत्रकारों से दुर्व्यवहार का गंभीर आरोप लगा। मामला तब सामने आया जब न्यूज वन इंडिया के पत्रकार एवं ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के तहसील सदर अध्यक्ष देवेन्द्र खरे ने रोडवेज बसों की अव्यवस्था और शहर में लगने वाले लगातार जाम को लेकर एआरएम से जानकारी लेनी चाही।

परंतु, पत्रकारों के अनुसार, ममता दुबे ने न सिर्फ सवाल पूछने पर नाराजगी जताई, बल्कि आपत्तिजनक भाषा और अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया। यह स्थिति तब और बिगड़ी जब अन्य पत्रकार भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने भी इसी तरह के दुर्व्यवहार की बात कही।

 पत्रकारों ने उठाई आवाज — प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन

ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की जिला इकाई ने इस मामले को हल्के में न लेते हुए जिलाधिकारी के नाम एक 5 सूत्रीय ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट इंद्रनंदन सिंह को सौंपा। ज्ञापन में पत्रकारों की गरिमा को ठेस पहुंचाने के साथ-साथ शहर की ट्रैफिक व रोडवेज की दुर्व्यवस्था पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई।

 ज्ञापन में रखी गईं ये पांच प्रमुख मांगे:

1️⃣ एआरएम ममता दुबे के व्यवहार की जांच कर उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

पत्रकारों का कहना है कि एक जनसेवक को जवाबदेह होना चाहिए, न कि अपमानजनक व्यवहार करना चाहिए।

2️⃣ सभी अधिकृत रोडवेज बसों को निर्देशित किया जाए कि वे रोडवेज परिसर से ही संचालन करें।

वर्तमान में अधिकतर बसें परिसर के बाहर सड़क किनारे सवारियां चढ़ा-उतार रही हैं, जिससे जाम की स्थिति बन रही है।

3️⃣ जेसीज चौराहे और रोडवेज तिराहे पर अवैध रूप से खड़ी डग्गामार व प्राइवेट बसों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई हो।

इन वाहनों के कारण मुख्य चौराहों पर घंटों जाम की स्थिति रहती है।

4️⃣ टेंपो, ई-रिक्शा और निजी वाहनों की अव्यवस्थित पार्किंग को नियंत्रित किया जाए।

बिना प्लानिंग के खड़े वाहनों के कारण जाम में स्कूल बसें, एंबुलेंस और आमजन बुरी तरह फंसे रहते हैं।

5️⃣ शहर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।

सिस्टम की लचर कार्यप्रणाली आम जनता को नुकसान पहुंचा रही है।

 “जवाब देने के बजाय अपमानजनक लहजा अपनाया गया” — संजय अस्थाना

जिलाध्यक्ष संजय अस्थाना ने कहा:

“पत्रकारों का काम जनहित के मुद्दे उठाना है। यदि अधिकारी सवाल पूछने पर अपशब्द कहें और बदतमीजी करें तो यह न केवल पत्रकारों का अपमान है बल्कि लोकतंत्र की गरिमा का भी हनन है।”

उन्होंने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो पत्रकार संगठन जिला स्तर पर आंदोलन की योजना बनाएगा।

 ट्रैफिक की विकराल समस्या, डिपो परिसर खाली — फिर भी बसें बाहर

जौनपुर में खासकर जेसीज चौराहे, रोडवेज तिराहा, और प्रयागराज-गोरखपुर मार्ग पर आए दिन भीषण जाम की स्थिति रहती है। इन इलाकों में:

  • रोडवेज की अधिकृत बसें डिपो के बजाय सड़क किनारे ही रुकती हैं
  • अवैध डग्गामार वाहन और निजी बसें चौराहों पर घंटों खड़ी रहती हैं
  • टेंपो, ई-रिक्शा बेतरतीब तरीके से पार्क किए जाते हैं
  • सवारियों के लिए होड़ में ट्रैफिक का बहाव ही टूट जाता है

यह सब कुछ तब हो रहा है जब रोडवेज डिपो का विशाल परिसर लगभग खाली रहता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब परिसर उपलब्ध है तो बसें बाहर क्यों खड़ी होती हैं?

 ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल रहे:

  • संजय अस्थाना (जिलाध्यक्ष)
  • प्रमोद जायसवाल
  • देवेन्द्र खरे
  • लक्ष्मी मौर्य
  • श्याम रतन श्रीवास्तव
  • विशाल सोनकर
  • दयाशंकर निगम
  • तबरेज नियाजी
  • रोहित चौबे
  • प्रशांत राजपूत
  • असलम खान
  • अंकित मिश्रा
  • व अन्य पत्रकारगण

🧾 निष्कर्ष:

यह मामला सिर्फ पत्रकारों से दुर्व्यवहार का नहीं, बल्कि प्रशासनिक असंवेदनशीलता और ट्रैफिक मैनेजमेंट की नाकामी का भी आईना है। जिस तरह से पत्रकारों ने एकजुट होकर आवाज उठाई है, उससे आने वाले दिनों में प्रशासन पर दबाव बनना तय है। सवाल यह है कि क्या संबंधित अधिकारी इस गंभीरता को समझ पाएंगे, या फिर फिर कोई बड़ी दुर्घटना इस व्यवस्था को जगाएगी?

 

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