तन तुमने दुर्लभ पाया, कोटि जन्म भटका तब खाया — पंकज महराज

तन तुमने दुर्लभ पाया, कोटि जन्म भटका तब खाया — पंकज महराज
रिपोर्ट-मनोज कुमार सिंह
जलालपुर —- अच्छे समाज के निर्माण एवं चरित्रोत्थान का संकल्प लिये बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी संत पंकज जी
महाराज वर्तमान में जौनपुर जिले में सघन सत्संग भ्रमण पर हैं। कल सायंकाल अपनी यात्रा के 50वें पड़ाव पर जलालपुर के निकट ग्राम बीबनमऊ में पधारे। आज अपने सत्संग सम्बोधन में पूज्य महाराज जी ने यह कहा ‘‘तन तुमने दुर्लभ पाया। कोटि जन्म भटका जब खाया।’’ पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा, करोड़ो जन्मों में भटकने के बाद यह दुर्लभ मनुश्य षरीर मिला है। अब इसको बर्बाद न करें। इसमें रहकर कुछ आत्मधन कमा लें जो अन्त समय में आप के काम आये। यदि आप ने यह काम न किया तो नर्को, चौरासी की कठोर यातनायें भोगनी पडेंगी। आप यह सोच सकते हैं कि जब यह शरीर खत्म हो गया तो किसे सजा मिलेगी। इसी शरीर से मिलती-जुलती सत्रह तत्वों की लिंग शरीर में कर्म भुगतायें जाते हैं। अच्छे-बुरे कर्मों को करने वाले जीवों को भयानक सजायें मिलती हैं और मिल रही हैं। जीवों के रोने-चिल्लाने की आवाजें लाखों मील तक जाती हैं कोई बचाने वाला नहीं है। सहजो बाई ने इस दृष्य का वर्णन करते हुये कहा ‘‘लौह के खम्भ तपत के माहीं जहां जीव को ले चिपटाहीं।’’ लोहे जैसे खम्भे तपकर लाल हो रहे उसमें जीव चिपकाये जाते हैं। उनकी दर्द भरी आवाज संत महात्मा जब साधना करके ऊपर जाते हैं तो उसे देख कर द्रवित हो जाते हैं और बचाने के लिये समझाते हैं। इसलिये अभी तो सन्तों के हाथ की बात है उनकी शरण ले लें। कलियुग में सुमिरन, ध्यान, भजन की तीन क्रियायें सन्तों ने बताया और क्रियाओं को थोथा बताया जिसे गृहस्थ आश्रम में रहकर किया जा सकता है।
उन्होंने अच्छे समाज के निर्माण में भागीदारी हेतु शाकाहारी रहने तथा नषीले पदार्थों से परहेज करने की अपील किया। आगामी 28 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में होने वाले पूज्यपाद दादा गुरु जी महाराज के 77वें पावन भण्डारे पर आने का निमन्त्रण भी दिया।
इस अवसर पर ऋशिदेव श्रीवास्तव, रामबली वर्मा, डा. राजेन्द्र प्रसाद निशाद, अरुण वर्मा, रामेष्वर मौर्य, ओम प्रकाष गुप्ता, करमजीत निशाद, षुभम निशाद, संगत वाराणसी अध्यक्ष बेचू प्रसाद गुप्ता, बांकेलाल, राजेष चौबे, दिनेष गुप्ता, धनन्जय आदि उपस्थित रहे। जनजागरण यात्रा अगले पड़ाव हेतु ग्राम छतारी (मेला मैदान) के लिये प्रस्थान कर गई।