दूध खड़े होकर और पानी बैठकर ही क्यों पीना चाहिए? जानें क्या कहते हैं आयुर्वेद के नियम
पानी और दूध का गलत तरीके से सेवन नहीं करना चाहिए। आइए जअगर दूध पीने के बाद आपका भी पेट फूलने लगता है या आपको गैस बनने लगती है तो इसके पीछे दूध नहीं उसे पीने का गलत तरीका जिम्मेदार हो सकता है। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार खाने-पीने की चीजों को लेकर कई हैं, जिनका पालन न करने पर व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है पानी और दूध का गलत तरीके के सेवन। आइए जानते हैं आखिर क्यों दूध खड़े होकर और पानी बैठकर पीने की सलाह लि जीए
जानिए दूध खड़े होकर क्यों पीना चाहिए
जो लोग बैठकर दूध पीते हैं उन्हें हाजमे की दिक्कत रहती है। यही वजह है कि आयुर्वेद में रात को सोने से पहले या शाम के भोजन के दो घंटे बाद दूध को हल्का गर्म करके खड़े होकर पीने की सलाह दी जाती है ताकि उसके पूरे लाभ व्यक्ति को मिल सके।
खड़े होकर दूध पीने के फायदे
खड़े होकर दूध पीने से घुटने खराब नहीं होते हैं, मांसपेशियों के लिए फायदेमंद, कैंसर के खतरे को कम करता है, ह्वदय रोग व हाई ब्लड प्रेशर से सुरक्षा करता है साथ ही ये आपकी आंखों व स्किन के लिए भी गुणकारी होता है।
बैठकर पानी क्यों पीना चाहिए
खड़े होकर पानी पीने से फूड और विंड पाइप में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है। जिसका असर न केवल फेफड़ों पर बल्कि दिल पर भी पड़ता है। इसके अलावा खड़े होकर पानी पीया जाए, तो पानी की अधिक मात्रा के कारण पेट के निचले हिस्से की दीवारों पर दबाव बनता है, जिससे पेट के आसपास के अंगों को बहुत नुकसान पहुंचता है। इस बुरी आदत के चलते कई लोगों को गठिया और हर्निया का शिकार होना पड़ता है। बिना रुके पानी पीने से एसिडिटी, गैस, डकारें आने जैसी समस्याएं भी होने लगती है। पानी कभी भी खड़े होकर मत पिएं। हमेशा बैठकर ही पानी पीना चाहिए।
बैठकर पानी पीने के फायदे
पानी बैठकर पीने से पानी सही तरीके से शरीर के सभी सेल्स तक पहुंचता है। व्यक्ति की बॉडी को जितने पानी की अवश्यकता होती है उतना पानी सोखकर वह बाकी का पानी और टॉक्सिन्स यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकल देता है। बैठकर पानी पीने से खून में हानिकारक तत्व नहीं घुलते बल्कि ये खून साफ करते हैं। इसीलिए बैठकर पानी पीने को अच्छा माना गया है।