नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा पर कलश स्थापना के साथ माता को भी स्थापित किया जाता है।
शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो गए हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा पर कलश स्थापना के साथ माता को भी स्थापित किया जाता है। मां दुर्गा के सामने अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है। बता दें कि नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति के कुछ नियम भी होते हैं। अगर इन नियमों का पालन किया जाए तो माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं अखंड ज्योति प्रज्जवलित करने के नियम और लाभ…
अखंड ज्योति का महत्व और लाभ
प्रतिपदा तिथि के साथ कलश स्थापना की जाती है और इसी दिन से अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है। अखंड ज्योति को खंडित न हो। साथ ही मान्यता है जिस घर में नौ दिन अखंड ज्योति जलती है। उस घर में सुख- समृद्धि का वास रहता है। साथ ही माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अखंड ज्योति को काफी सावधानी से रखा जाता है ताकि हवा के कारण बुझे नहीं। नवरात्रि में अखंड ज्योति का बुझना अशुभ माना जाता है। इसलिए दीपक में लगातार घी डाला जाता है। ताकि ज्योति बुझे नहीं।
जानिए अखंड ज्योति के नियम
1- अखंड ज्योति जलाने के लिए हमेशा सामान्य से थोड़े बड़े आकार का दीपक पूजा के लिए चुनें। इसके लिए आप मिट्टी के दीपक का भी चुनाव कर सकते हैं। क्योंकि छोटे दीपक में ज्योति बुझने के चांस ज्यादा रहते हैं। साथ ही बड़ा दीपक होने से घी ज्यादा डाला जा सकता है। जिससे अखंड ज्योति लंबे समय तक प्रज्जवलित रह सकती है। 2- अखंड ज्योति की देखरेख के लिए कोई ना कोई उसके पास जरूर होना चाहिए। मान्यता है कि जब तक ज्योति प्रज्जवलित है तब तक मतलब नौ दिन मां आपके घर में विराजमान हैं। इसलिए ज्योति आस- पास एक सदस्य को जरूर रहना चाहिए।
3- ज्योति प्रज्जवलित करने के लिए कलश या फिर चौकी का प्रयोग करें। अगर चौकी पर अखंड ज्योति प्रज्जवलित कर रहे हैं तो लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। वहीं अगर आप कलश पर कर रहे हैं तो उसके नीचे गेहूं रखें। ऐसा करने से घर में सुख- समृद्धि का वास रहता है।
4- नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाले बहुत कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि अखंड ज्योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है। इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें।
5- अखंड ज्योति को आग्नेय कोण में ही रखें। जिससे पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके। अखंड ज्योति को किसी भी कीमत पर बुझने नहीं दें। साथ ही नौ दिन पूरे होने पर ज्योति को खुद ही बुझने दें।