नहर में पानी न आने से किसानों में गहरी निराशा, फसल बोवाई पर खड़ा हुआ संकट
जौनपुर के रामपुर क्षेत्र में शारदा सहायक खंड–39 नहर की उपेक्षा से बढ़ी किसानों की परेशानी
जौनपुर। रामपुर क्षेत्र के किसानों के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई की हो रही है। शारदा सहायक खंड–39 नहर में पिछले तीन–चार वर्षों से पानी न आने के कारण किसान बेहद निराश और चिंतित हैं। रबी सीजन की बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन नहर में पानी न होने से गेहूं, चना, सरसों, मटर और आलू की सिंचाई प्रभावित हो रही है। क्षेत्र के ऐसे किसान, जिनके पास नलकूप या बिजली की स्थायी सुविधा नहीं है, पूरी तरह नहर पर निर्भर हैं और इस समय खेती लगभग ठप की स्थिति में है।
नहर में घास–फूस और पेड़ों का कब्ज़ा, वर्षों से नहीं हुई सफाई
ग्रामीण किसानों ने बताया कि नहर की सफाई न होने से उसके बीचों–बीच घास–फूस, झाड़ियाँ, सरकंडा, नरकट और सरपत जैसे पेड़–पौधे उग आए हैं। बरसात के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है। नहर में इतनी वनस्पतियाँ जम गई हैं कि पानी छोड़ना तकनीकी रूप से संभव ही नहीं रह गया है।
किसानों का कहना है कि वर्षों से नहर की कोई नियमित सफाई नहीं कराई गई, जिससे नहर जंगल में तब्दील हो चुकी है।
किसान बोले—सरकारी उपेक्षा का दुष्परिणाम हम भुगत रहे
स्थानीय किसानों का कहना है कि नहर निर्माण के समय उनकी कीमती जमीनें ली गई थीं, लेकिन इसके बदले में उन्हें उचित मुआवजा भी नहीं मिला। यह त्याग आज व्यर्थ प्रतीत हो रहा है क्योंकि सरकार तथा नहर प्रबंधन विभाग द्वारा नहरों की कोई देखरेख नहीं की जा रही।
पिछले वर्ष भी नहर में पानी नहीं छोड़ा गया था, सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति कर दी गई। नतीजन किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
जल स्तर नीचे, बुवाई पर संकट
इस वर्ष कम बारिश के कारण जलस्तर काफी नीचे जा चुका है। हैंडपंपों और नलकूपों से भी पानी पर्याप्त नहीं निकल रहा। किसान बताते हैं कि नहर में नियमित जल छोड़ने से भू–गर्भ जलस्तर बढ़ता है, जिससे ग्रामीण इलाकों में पीने और सिंचाई दोनों के लिए पानी उपलब्ध रहता है।
लंबी दूरी तक फैली यह नहर लगभग 500 से अधिक गांवों की जीवनरेखा है, जिनमें बादशाहपुर, जंघई, मीरगंज, कटवार, आलमगंज, वाजिदपुर, सहादतपुर, रामपुर, कसेरू आदि प्रमुख हैं।
तूफानी बारिश से नुकसान भी, कुछ इलाकों को राहत भी
बीते सप्ताह हुई तेज बारिश ने जहां कई किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया, वहीं कुछ इलाकों में यह बारिश बुवाई के लिए नमी जैसे वरदान के रूप में भी साबित हुई। लेकिन जिन क्षेत्रों में बारिश कम हुई, वहां बिना नहर के पानी के खेती संभव नहीं है।
किसानों की मांग — नहर की तत्काल सफाई कर पानी छोड़ा जाए
किसान संगठनों और ग्रामीणों ने नहर प्रबंधन विभाग से मांग की है कि नहर की जल्द सफाई कराई जाए और रबी फसल की बुवाई को बचाने के लिए तत्काल नहर में पानी छोड़ा जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल किसानों का मुद्दा नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की आजीविका का प्रश्न है।
अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो हजारों किसानों की मेहनत और आजीविका दोनों पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि विभाग उनकी आवाज सुनेगा और जनहित में उचित कार्रवाई करेगा।



