नींद को रौंदते हुए युवानी को पुरूषार्थ करना चाहिए-प्रेमभूषण महाराज

नींद को रौंदते हुए युवानी को पुरूषार्थ करना चाहिए-प्रेमभूषण महाराज

रिपोर्ट–अमित पांडेय

सतना-पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व में ज्वेलर्स श्रीविदुर सर्राफ के तत्वावधान में भारत इंटरनेशनल स्कूल के शुभारंभ अवसर पर 10 से 16 फरवरी तक तपा, रामपुर, बाघेलान में सुनील सोनी के संकल्प से मानस के कागभुसुंडि रामायण के आश्रय में गायी जा रही सात दिवसीय श्रीरामकथा में पूज्यश्री ने कहा कि सत्कर्मो को अविलंब बिना मुहूर्त के ही कर डालना चाहिए। नीति सूत्र प्रदान करते हुए पूज्यश्री ने कहा कि,अति प्रसन्नता में कभी किसी को वचन नही देना चाहिए, नही तो जीवन का आनंद बाधित होने लगता है।नींद को रौंद कर युवानी को पुरुषार्थ करना चाहिए।वृद्धा अवस्था में चिंता छोड़ भगवत चिंतन बढ़ा देना चाहिए। मिथिला प्रसंग सुनाते हुए पूज्यश्री ने कहा कि मंदिर में भगवान के विग्रह स्थापना के पूर्व शोभायात्रा निकाल कर नगर भ्रमण की व्यवस्था हमारे ऋषियों-मुनियों ने बना रखी है, क्योंकि जो लोग दर्शन और उत्सव में सम्मिलित नही हो पाते वे भी इस दर्शन लाभ से वंचित न रह जाए,इसी भाव को ध्यान में रखकर गुरू विश्वामित्र ने प्रभु और लक्ष्मण जी को मिथिला दर्शन की आज्ञा प्रदान किए।जिसके पुराकृत कर्म श्रेष्ठ होते हैं भगवान उसी को सौंदर्य प्रदान करते हैं, इसलिए प्रत्येक सुंदर स्त्री-पुरूष को इसका सम्मान करना चाहिए।सौंदर्यवान व्यक्ति से लोग जलन रखते हैं अतः ऐसे ईर्ष्यालु लोगों से दूर ही रहना चाहिए।मिथिला वासियों जितना सौभाग्यशाली कोई नही क्योंकि भगवान स्वयं जाकर इनको अपना दर्शन प्रदान किये।
प्रभु के मिथिला आगमन पर उपजे उत्सव भाव का दर्शन पूज्यश्री ने अपने मोहक़ भजन ..जब से आए हैँ रघुबर सरकार मिथिला..को प्रस्तुत करके भावविभोर कर दिया।धनुष यज्ञ प्रसंग को हमेशा की तरह पूज्यश्री के गायन और पूज्यश्री की कथा यात्रा के प्रमुख संगीत सारथी सुप्रसिद्ध तबला वादक भाईजी के वादन ने पुनः अद्भुत और अविस्मरणीय बना दिया। धन की सार्थकता को बतलाते हुए पूज्यश्री ने श्रोताओं को सावधान करते हुए कहा कि,भगवान के द्वारा प्राप्त धन का सदुपयोग करना चाहिए जिसे दान और स्वयं उपभोग कर लेना चाहिए नही तो चौBथी पीढ़ी में धन को समाप्त करने वाला स्वयं आ जाएगा।यह जीवन चरणामृत पीने के लिए है, शराब पीने वाले का सर्वस्व नष्ट हो जाता है।इस प्रकार पूज्यश्री ने सभी कथा प्रसंगों को व्यास और समास पद्धति से श्रोताओं को सुनाकर रामराज्याभिषेक के मंगल उत्सव के आनंद भाव में उपस्थित करके इस आयोजन को सम्पन्न किया।

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