परमात्मा के अनुग्रह के सामने कोई मनुष्य छोटा नहीं होता: नारायणान्द तीर्थ महाराज
जौनपुर :
परमात्मा के अनुग्रह के समक्ष कोई भी मनुष्य छोटा नहीं होता है। ईश्वर की दृष्टि में सभी समान हैं और किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता। जो व्यक्ति विनम्रतापूर्वक परमात्मा के प्रति समर्पित होता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यह विचार अनंत श्री विभूषित काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणान्द तीर्थ जी महाराज ने बामी गांव में चल रही रामकथा के पाँचवें दिन व्यक्त किए।

महाराज श्री ने कहा कि माया की लीला ही ऐसी है कि जो दूसरों को पापी समझता है, वही स्वयं पापी हो जाता है। महात्मा आत्मा के रूप में ही परमात्मा का साक्षात्कार कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे पुत्र माता-पिता को और अच्छे शिष्य गुरु को सुख प्रदान करते हैं, क्योंकि वे अपने संस्कारवश उनकी आज्ञा का पालन करते हैं।
रामकथा के प्रसंग में महाराज जी ने बताया कि ताड़का वध के समय भगवान श्रीराम ने पहले स्त्री होने के कारण संकोच किया, परन्तु जब गुरु विश्वामित्र ने ताड़का के अधर्मपूर्ण कृत्यों को बताया तो श्रीराम ने गुरु की आज्ञा को सर्वोपरि मानते हुए ताड़का वध किया। इसी प्रकार श्रीकृष्ण ने भी पूतना का वध कर अधर्म का अंत किया।
उन्होंने कहा कि अहिल्या उद्धार के समय भगवान राम ने गुरु की आज्ञा से शिला को पैर से स्पर्श किया और जब अहिल्या पुनः अपने स्वरूप में आईं, तब भगवान ने उन्हें प्रणाम किया। इससे स्पष्ट है कि भगवान राम सदैव माता-पिता और गुरु की आज्ञा को अपना सौभाग्य मानते थे।
कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। जौनपुर सहित आसपास के जनपदों से पधारे भक्तों ने कथा के अंत में जगद्गुरु महाराज की आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

