जानिए कौन सा पानी दे रहा कौन सी बीमारी
पीने के पानी से होने वाली परेशानियां रातों की नींद उड़ा सकती हैं। इसलिए स्वच्छ पानी पीना बहुत जरूरी है। यहां हम आपको उदाहरण सहित बता रहे हैं कि कौन सा पानी आपको कौन सी बीमारियां दे रहा है। आप इससे कैसे बच सकते हैं। शहरों और ग्रामीण इलाकों में पानी की सप्लाई में खामियों के चलते हम और आप जमीन में डीप बोरिंग करके जहां भूगर्भ जल स्तर को प्रभावित कर रहे हैं, वहीं अब इससे समय से पहले बुढ़ापा भी आ रहा है। 150 फीट से नीचे पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है। इससे दांत पीले होने के साथ-साथ हड्डियों में ढेढ़ापन जैसी बीमारी बढ़ रही और लोग जल्द बुढ़ापे के शिकार हो रहे हैं।
इस तरह का जल खतरनाक
शहरी क्षेत्र के भूगर्भ में रूपांतरित चट्टानें हैं जिसे नासि कहते हैं। ये जमीन के नीचे काफी गहराई तक फैला रहता है, जिसके काले हिस्से में फ्लोराइड रहता है। जो पानी लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल में लाते हैं, वह वर्षा जल होता है। वर्षा जल भूगर्भ में 150 फीट की गहराई तक पहुंचता है। यह भूगर्भ में फ्लोराइड के प्रभाव को कम या संतुलित करता है। यही वजह है कि इतनी गहराई वाले जल से बीमारी का खतरा नहीं रहता है। लेकिन, कोई भी चीज अगर एक सीमा में हो, तो ही बेहतर है।
फ्लोराइड का कहां कितना प्रभाव
फ्लोराइड कितना घातक हो सकता है, यह यूपी के रायबरेली, उन्नाव और सोनभद्र जैसे जिलों में देखा जा सकता है। गंदा पानी पीने के कारण लोग 45 की उम्र में 80 के बुजुर्ग लगते हैं। हड्डियां इस कदर कमजोर हो जाती हैं कि खुद उठते-बैठते भी नहीं बनता है। इस हालत का जिम्मेदार है फ्लोरोसिस रोग। ये भोजन और पीने के पानी के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। फ्लोरोसिस के कारण दांत पीले पड़ सकते हैं। यह जोड़ों के भी प्रभावित करता है।
पार्लियामेंट में उठा मुद्दा
उत्तर प्रदेश के रायबरेली और सोनभद्र जैसे जिलों में गंदे पानी से होने वाली परेशानी का मुद्दा पार्लियामेंट में भी उठ चुका है। साल 2014 में तत्कालीन सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में और उनसे पहले सांसद प्रभात झा ने राज्यसभा में इसे उठाया था। स्थानीय सांसद छोटेलाल खरवार ने भी पिछले साल इस मामले को लोकसभा में उठाया था। बावजूद इसके अब तक इस गंभीर मामले का कोई हल नहीं निकाला गया।
क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉक्टर राहुल जैन बताते हैं कि फ्लोराइड की जरूरत से ज्यादा मात्रा शरीर में जाने से हड्डियों में टेढ़ापन आ जाता है। यही वजह है कि समय से पहले ही 35-40 के महिला-पुरुष भी 75-80 वर्ष के वृद्ध की तरह झुककर चलते हैं। दांत में पीलापन, थायरॉयड, आंख, कान और लीवर पर भी प्रभाव पड़ता है।

