प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की ख्याति सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेश तक पहुंच चुकी है। इसी कड़ी में अब शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ का एक प्रतिनिधिमंडल अगले वर्ष 16 जनवरी को काशी आ रहा है। चीन, रूस और पाकिस्तान समेत आठ सदस्य देशों के विदेशी मेहमान काशी की संस्कृति और यहां की पौराणिकता से रूबरू होंगे।
काशी को सांस्कृतिक और पर्यटक राजाधानी का दर्जा
इसी माह एससीओ ने काशी को दुनिया की पहली सांस्कृतिक और पर्यटक राजाधानी का दर्जा दिया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने एससीओ के समस्त सदस्यों को काशी भ्रमण का न्यौता भेजा है। पीएम नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक झांकी प्रस्तुत करने वाले पवित्र शहर वाराणसी को संवारने के प्रति संकल्पित हैं। यह उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि बीते कुछ वर्षों में यह धार्मिक नगरी प्रदेश के पर्यटन का सबसे प्रमुख केंद्र बनकर उभरी है। देश और विदेश से लाखों तीर्थयात्री प्रतिदिन काशी आ रहे हैं।स्वागत की तैयारियां हुईं तेज
अगले वर्ष काशी आ रहे इन विदेशी मेहमानों का प्रदेश सरकार स्वागत करने को तैयार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर काशी को सजाने और संवारने की कवायद तेज हो गई है। इन विदेशी मेहमानों के भव्य स्वागत के लिए मुख्यमंत्री योगी ने आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए है।
स्वच्छता मिशन के तहत शहर को पूरी तरह से साफ-सुथरा रखा जाए। सभी प्रमुख चौराहों पर जाम की समस्याओं का निस्तारण किया जाए। मेहमानों के आगमन पर स्कूली बच्चे उनका स्वागत करेंगे। सरकार की मंशा है कि मेहमान जब काशी पधारें तो उन्हें अपनत्व का बोध हो, ताकि वो काशी की संस्कृति को समझ सकें।इन देशों के मेहमान आएंगे काशी
एससीओ यानी शंघाई सहयोग संगठन विश्व के आठ देशों की सदस्यता वाला एक आर्थिक एवं सुरक्षा गठबंधन है, जिसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। यह संगठन सुरक्षा ही नहीं बल्कि आपस में आर्थिक तरक्की को बल देने के प्रयासों के लिए भी कार्य करता है। ऐसे में उनका वाराणसी आना सांस्कृति पहचान के अलावा इन देशों के साथ कारोबार के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।