बांदा में मासूम के साथ दरिंदगी पर त्वरित न्याय: दोषी को फांसी की सजा

बांदा में मासूम के साथ दरिंदगी पर त्वरित न्याय: दोषी को फांसी की सजा
बांदा (उत्तर प्रदेश), 8 सितंबर
उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने इंसानियत को झकझोर देने वाले जघन्य अपराध में दोषी पाए गए युवक को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। यह मामला एक तीन वर्षीय मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और उसे मरणासन्न हालत में जंगल में फेंकने से जुड़ा है।
अदालत ने दोषी सुनील निषाद (24 वर्ष) को फांसी की सजा के साथ ₹65,000 का आर्थिक दंड भी लगाया है। इस हृदयविदारक घटना के बाद आमजन और प्रशासनिक महकमे में गहरा रोष था, जिसे देखते हुए न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ी से अंजाम दिया गया।
क्या था मामला?
शासकीय अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह परिहार ने जानकारी दी कि घटना तीन जून 2025 की है, जब चिल्ला थाना क्षेत्र में रहने वाली एक तीन साल की बच्ची को आरोपी सुनील निषाद ने अगवा कर लिया। बच्ची के साथ बलात्कार कर उसे गंभीर रूप से घायल अवस्था में पास के जंगल में फेंक दिया गया।
स्थानीय पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया और बच्ची को इलाज के लिए कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान एक सप्ताह बाद बच्ची की मृत्यु हो गई।
तेज़ सुनवाई, सख्त सजा
विशेष पॉक्सो अदालत में इस संवेदनशील मामले की सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने कुल 11 गवाह पेश किए। तथ्यों, साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अदालत ने केवल 58 दिनों में फैसला सुनाते हुए आरोपी को दोषी ठहराया।
विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार मिश्रा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “इस प्रकार के अपराध समाज में असहनीय हैं और ऐसे अपराधियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए, जिससे समाज में एक संदेश जाए।”
न्याय की उम्मीद को मिली नई दिशा
यह फैसला न केवल पीड़िता के परिवार के लिए न्याय का संकेत है, बल्कि पूरे समाज के लिए यह एक उदाहरण है कि ऐसी अमानवीय घटनाओं पर राज्य और न्यायपालिका किस कड़ी नजर से कार्यवाही करती है।