बिहार में 130 नवनिर्वाचित विधायक आपराधिक मामलों में घिरे, सबसे अधिक BJP के MLA
ADR की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
पटना। बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने विधानसभा चुनाव 2025 के सभी 243 विजेता उम्मीदवारों के शपथ-पत्रों का विश्लेषण जारी किया है। इस रिपोर्ट में नवनिर्वाचित विधानसभा की आपराधिक, आर्थिक व सामाजिक प्रोफाइल को लेकर कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नए विधानसभा का आधे से अधिक हिस्सा ऐसे विधायकों का है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
53% विधायकों पर आपराधिक मामले
ADR के विश्लेषण के मुताबिक 243 में से 130 विजेताओं ने अपने हलफनामों में आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह कुल विजेताओं का 53% है।
हालांकि 2020 की तुलना में इस बार यह प्रतिशत कुछ कम है। तब 68% विजेताओं पर केस दर्ज थे। फिर भी यह संख्या लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए बड़े सवाल खड़े करती है।
गंभीर मामलों वाले विधायक भी बड़ी संख्या में
कुल 102 विजेताओं ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामलों का जिक्र किया है, जो कुल विधायकों का 42% है।
रिपोर्ट में शामिल प्रमुख बिंदु:
- 6 विजेता हत्या से जुड़े मामले झेल रहे हैं
- 19 विधायक हत्या के प्रयास के मामलों में आरोपी
- 9 विजेताओं पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज
दलवार स्थिति: सबसे अधिक मामले BJP के विधायकों पर
रिपोर्ट में विभिन्न दलों के विधायकों का आपराधिक प्रोफाइल इस प्रकार है—
- BJP: 89 में से 43 विधायक (48%)
- JDU: 85 में से 23 विधायक (27%)
- RJD: 25 में से 14 विधायक (56%)
- LJP (रामविलास): 19 में से 10 (53%)
- कांग्रेस: 6 में से 3 (50%)
- AIMIM: 5 में से 4 (80%)
- वाम दलों व अन्य छोटे दलों के कई विधायकों पर भी गंभीर धाराओं में मामले दर्ज
वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि यह आंकड़े दर्शाते हैं कि साफ-सुथरी छवि के उम्मीदवारों को टिकट देने में राजनीतिक दल गंभीर नहीं हैं।
90% विधायक करोड़पति
रिपोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 218 विधायक करोड़पति हैं। यानी कुल विधायकों का 90% आर्थिक रूप से अत्यंत संपन्न वर्ग से आता है।
विजेताओं की औसत घोषित संपत्ति 9.02 करोड़ रुपये है, जो बिहार में चुनावी राजनीति में धनबल के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट करता है।
शैक्षिक योग्यता का रिपोर्ट कार्ड
शपथ-पत्रों में दी गई शैक्षिक जानकारी के आधार पर—
- 35% विधायक 5वीं से 12वीं तक शिक्षित
- 60% स्नातक या उच्च शिक्षित
- 5 विधायकों के पास डिप्लोमा
- 7 विधायक केवल साक्षर
उम्र का वितरण
- 25–40 वर्ष: 38 विधायक (16%)
- 41–60 वर्ष: 143 विधायक (59%)
- 61–80 वर्ष: 62 विधायक (26%)
इससे स्पष्ट है कि विधानसभा में मध्यम आयु वर्ग के प्रतिनिधियों का वर्चस्व है।
महिला प्रतिनिधित्व में हल्की बढ़ोतरी
इस बार 29 महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं, जो कुल का 12% है।
2020 में यह आंकड़ा 11% था। मामूली बढ़ोतरी के बावजूद यह संख्या अभी भी अत्यंत कम मानी जा रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा कि ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि बिहार की राजनीति में साफ छवि वाले उम्मीदवारों की कमी है।
उन्होंने कहा कि चुनावी सुधारों पर गंभीरता से चर्चा की जरूरत है ताकि लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का भरोसा मजबूत रह सके।


