मनरेगा कार्यों पर असर की आशंका : जौनपुर के रोजगार सेवकों ने एसीस्टॉक कीप सर्वे से मुक्ति की मांग की

मनरेगा कार्यों पर असर की आशंका : जौनपुर के रोजगार सेवकों ने एसीस्टॉक कीप सर्वे से मुक्ति की मांग की
रामपुर (जौनपुर), 18 अगस्त।
जौनपुर जिले के रामपुर विकास खंड के ग्राम रोजगार सेवकों ने एसीस्टॉक कीप सर्वे कार्य से मुक्ति की मांग करते हुए इसे अनुचित और असंगत करार दिया है। इस संबंध में रोजगार सेवकों ने खंड विकास अधिकारी (BDO) को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें पांच प्रमुख कारणों का हवाला दिया गया है।
रोजगार सेवकों ने कहा कि राजस्व से संबंधित तकनीकी जानकारी, जैसे गाटा संख्या, खतौनी, आदि का उन्हें प्रशिक्षण नहीं है। ऐसे में इस कार्य को करना न केवल मुश्किल है बल्कि त्रुटिपूर्ण भी हो सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि इस अतिरिक्त कार्यभार के चलते मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी सीधा असर पड़ेगा।
ज्ञापन में कहा गया है कि अधिकांश ग्राम पंचायतों में एकल कर्मचारी प्रणाली है, जहाँ सभी जिम्मेदारियाँ एक ही व्यक्ति को निभानी पड़ती हैं। ऐसे में फील्ड में समय देना संभव नहीं हो पाता।
सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई गई है। रोजगार सेवकों का कहना है कि सर्वे के दौरान उन्हें साँप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव-जंतुओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस संदर्भ में सरकारी स्तर पर कोई ठोस सुरक्षा नीति उपलब्ध नहीं है।
इसके अतिरिक्त, प्रस्तावित प्रोत्साहन राशि को भी अपर्याप्त बताया गया है। प्रति गाटा या प्रति लॉट के हिसाब से मिलने वाली राशि कार्य की मेहनत और जोखिम के अनुपात में बहुत कम है।
रोजगार सेवकों ने स्पष्ट किया कि एसीस्टॉक कीप सर्वे कार्य मनरेगा के जॉब चार्ट में शामिल नहीं है। ऐसे में यह जिम्मेदारी देना न केवल नियमों के विरुद्ध है बल्कि सांसद-विधायक निधियों जैसी अन्य योजनाओं में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है।
इस ज्ञापन का नेतृत्व कर रहे ब्लॉक रोजगार सेवक संघ अध्यक्ष सुदिन ओझा ने विभाग से अपील की है कि रोजगार सेवकों की भूमिका, संसाधन और सुरक्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस कार्य से तत्काल राहत प्रदान की जाए।