मित्रता में धन- दौलत आड़े नहीं आती – आचार्य रितेश
मित्रता में धन- दौलत आड़े नहीं आती – आचार्य रितेश
रिपोर्ट-अमित कुमार पांडेय
जौनपुर/बदलापुर। नगर के वार्ड क्रमांक सात पुरानी बाजार में हो रही सात दिवसीय श्रीमद् भगवत कथा के पंचम दिन गुरुवार को श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया। कथाव्यास आचार्य रितेश जी महाराज ने कथा के दौरान श्रीकृष्ण एवं सुदामा के मित्रता के बारे में कहा कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे।”पानी परात को हाथ छूवो नाही,नैनन के जल से पग धोये।”योगेश्वर श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा जी की आवभगत में इतने भाव विभोर हो गए कि द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रो से सुदामा जी का हाल चाल पूछने लगे। उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में धन दौलत आड़े नहीं आती। आचार्य महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘स्व दामा यस्य स: सुदामा’ अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। मौके पर श्रद्धालुओं ने ध्यान पूर्वक कथा का श्रवण किया। मार्मिक प्रसंग का श्रवण करने के दौरान श्रद्धालुओं के आखों से अश्रु बहने लगे।उन्होंने कहा श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं सभी के दिलों में विहार करते हैं जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की। कथा के दौरान बीच बीच में मण्डली द्वारा भजन की प्रस्तुति की गई। सुदामा चरित्र की कथा सुनकर एवं कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का दृष्य देख परिसर में मौजूद समस्त भक्तगण भाव विभोर हो गये। अद्भुत झांकी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक स्वर में राधे- कृष्ण के जयकारों से परिसर गुंजायमान हो उठा। आचार्य रितेश ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य स्वंय को भगवान बनने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करे । संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य यजमान राजनारायण ने सपत्नी नगीना देवी ने भगवान् की आरती उतारी। तत्पश्चात श्रद्धालुओं में आयोजक देवेंद्र एवं जीतेन्द्र शर्मा ने प्रसाद वितरण किया। इस मौके पर लालबहादुर शर्मा, रामजीत पाण्डेय, रमाकांत अशोक, मदनलाल, उदयभान, विपिन, विकाश, अरुण शर्मा आदि लोग मौजूद थे।