मिर्जापुर :यहां पर एक या दो नहीं बल्कि तीन-तीन महाशक्तियां विंध्य पर्वत पर एक साथ विराजमान हैं

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विंध्य पर्वत पर स्थित विंध्याचल महाशक्ति पीठ की श्रेणी में आता है. यहां पर एक या दो नहीं बल्कि तीन-तीन महाशक्तियां विंध्य पर्वत पर एक साथ विराजमान हैं. इन्हें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती कहा जाता है. ये तीनों देवियां ईशान कोण पर विराजमान हैं, जिसे त्रिकोण भी कहा जाता है. कहते है कि ब्रह्माण्ड में यह इकलौता स्थान है, जहां पर तीनों देवियां एक साथ अपने भक्तों का कल्याण करती हैं.

करीब 12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस त्रिकोण की पैदल यात्रा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैंकहते हैं कि एक महाशक्ति का दर्शन करने से कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं, लेकिन विंध्य पर्वत पर तीनों शक्तियां एक साथ बैठकर जगत का कल्याण कर रही हैं, जिससे यहां का महत्व अन्य जगहों से ज्यादा है. यहां महाकाली के रूप में काली खोह, महालक्ष्मी के रूप में विंध्यवासिनी, महासरस्वती के रूप में मां अष्टभुजा विराजमान हैं.

मां के दर्शन को लगती है भीड़

पंडित राजेश कहते हैं कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ त्रिकोण की परिक्रमा करता है, उसे अनेक फल प्राप्त होते हैं. ऐसी मान्यता है की जो लोग दुर्गा शप्तशती और देवी भगवत कथा का पाठ नहीं कर पाते उनको त्रिकोण की परिक्रमा करने से उसी के सामान फल मिलता है. दूर दराज से लोग मां के इस रूप का दर्शन करने आते हैं.

नंगे पांव त्रिकोण यात्रा

जानिए अब 12 किलोमीटर में फैले दुर्गम पहाड़ियों के रास्तों से परिक्रमा करना भक्तों के लिए एक महान अनुभूति है. लोग नंगे पांव त्रिकोण यात्रा करते हैं. ऐसी मान्यता है की कालांतर में सभी देवी देवताओं ने भी त्रिकोण की परिक्रमा की थी. त्रिकोण मार्ग पर पड़े पत्थरों को उठाकर लोग प्रतीक स्वरूप एक घर बनाते हैं. ऐसी मान्यता है जो भी भक्त तीन बार आकार घर का निर्माण करता है, उसकी घर की मनोकामना जरूर पूरी होती है.सारे सपने पूरी करती है मां

 अब आपने त्रिकोण यात्रा की होगी तो आपने मार्ग पर जगह-जगह पत्थर रखे जरूर देखा होगा. जिसे लोगों ने एक आशियाने की मंशा में प्रतीक स्वरूप घर का निर्माण किया होगा. लोग इस उम्मीद से यह काम करते हैं कि अगर मां चाहेंगी तो उनका सपना भी जरूर पूरा होगा. इसी भरोसे से यह सिलसिला सालों से चलता चला आ रहा है. वैसे भक्तों की सुविधा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां पर रोपवे का निर्माण भी करवाया गया है, जो अष्टभुजा और कालीखोह में स्थित है. लोग अपनी धार्मिक यात्रा के साथ रोपवे का आनंद लेना नहीं भूलते हैं

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