वरुणा के तटवर्ती इलाकों में भी बाढ़ का खतरा गंगा में बढ़ते जलस्तर ने बढ़ाई लोगों की परेशानी

जानिए गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि से गुरुवार रात वरुणा नदी में पलट प्रवाह शुरू हो गया। उधर, जलमग्न हुए गंगा के घाटों पर पानी और चढ़ गया।उधर यह स्थिति देख वरुणा तटवर्ती इलाके के लोगों की चिंता बढ़ गई है। वह रात में गृहस्थी सहेजकर सुरक्षित स्थानों व रिश्तेदारों के यहां शरण लेने लगे।  

अब जल आयोग के मुताबिक गंगा का जलस्तर 69.00 मीटर पर पहुंच गया है। हालांकि वह चेतावनी बिंदु से 1.262 मीटर और खतरे के निशान से 2.262 मीटर नीचे हैं। बढ़ाव की रफ्तार दिन में जहां दो सेमी प्रतिघंटे थी। वहीं शाम होते-होते तीन सेमी प्रतिघंटे पर पहुंच गई थी। अभी बढ़ाव जारी रहने की आशंका है।पिछले वर्ष 18 अगस्त को गंगा पर जलस्तर 67.34 मीटर पर थी। गंगा केजलस्तर में बढ़ोतरी से ढाब इलाके की खेती -किसानी पर संकट खड़ा हो गया है।

 सम्बंधित इलाके के प्राधिकारी का नम्बर भी सार्वजनिक किया गया है। जिलाधिकारी ने आदेश दिया है बाढ़ से बचाव में तैनात सभी अधिकारी व कर्मचारी अपनी-अपनी तैयारी समय पूर्व पूरा कर लें। उधर, जिले के ग्रामीण इलाकों में 39 बाढ़ राहत शिविर बनाने के साथ सक्रिय किया गया है। सदर तहसील में 32, पिंडरा में 3 और राजातालाब के 4 शिविर शामिल हैं। जिला प्रशासन ने गंगा तटवर्ती कॉलोनियों मे भी नजर रखने का आदेश दिया है।

 बढ़ाव से श्मशानघाट डूब गए हैं। हरिश्चंद्र घाट पर गुरुवार को गलियों में शवों का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं मणिकर्णिका घाट पर बृजपाल दास रमा देवी विश्राम स्थल में पानी चले जाने से शवदाह कराने में परिजनों को कठिनाई हो रही है।

मणि कर्णिका घाट पर सामान्य तौर पर 2-4 घंटे में पूरी होने वाली प्रक्रिया में 6 से 7 घंटे लग रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी सीएनजी शवदाह गृह के नजदीक पानी पहुंच गया है। परंपरागत स्थान पानी में समा जाने से गलियों में अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

लेकिन अभी प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकी है।मणि कर्णिका घाट पर अपने मित्र के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे रविकांत ने कहा कि घाट पर दो घंटे हो गए हैं  चारों ओर पानी होने से शव को रखने की जगह भी मुश्किल से मिली।

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