शहरी सीमा बढ़ी तो बदला पंचायतों का नक्शा: यूपी में 30 जिला पंचायत वार्ड और 495 ग्राम पंचायतें खत्म!
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में शहरी निकायों के तेजी से विस्तार का सीधा असर अब पंचायत चुनावों पर दिखने लगा है। ताजा परिसीमन (Delimitation) के बाद राज्य में पंचायतों का भूगोल बदल गया है। 30 जिला पंचायत वार्ड और 830 क्षेत्र पंचायत वार्ड घटा दिए गए हैं, जबकि 495 ग्राम पंचायतें अब इतिहास बन चुकी हैं। पंचायती राज विभाग ने इसकी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा जाएगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर अगले साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाएंगे।
कम हुए वार्ड, घटे प्रतिनिधित्व के दायरे
राज्य में अब 3,020 जिला पंचायत और 75,014 क्षेत्र पंचायत वार्डों पर चुनाव होंगे। पंचायती राज विभाग के मुताबिक, 16 जिलों में जिला पंचायत वार्डों की संख्या में कटौती हुई है।
सबसे ज्यादा असर देवरिया में दिखा, जहां 5 वार्ड खत्म हुए हैं। वहीं मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद में 3-3 वार्डों की संख्या कम हुई है। इसके अलावा कुशीनगर, आजमगढ़, गोंडा, अयोध्या समेत कई जिलों में भी वार्डों का पुनर्गठन किया गया है।
495 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व हुआ समाप्त
वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश में 58,189 ग्राम पंचायतें थीं, जो अब घटकर 57,694 रह गई हैं। यानी 495 ग्राम पंचायतों का विलय या समाप्ति हो चुकी है। अनुमान है कि इसके साथ ही करीब 4,600 ग्राम पंचायत सदस्य वार्ड भी घटे हैं।
अगस्त में परिसीमन की यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी और अब विभाग ने आंकड़ों को अंतिम रूप दे दिया है।
चुनावों की तैयारी तेज, आयोग को जाएगी रिपोर्ट
पंचायती राज विभाग की रिपोर्ट में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतों से जुड़े सभी नए आंकड़े शामिल हैं। यह रिपोर्ट अब राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी। आयोग इसी के आधार पर अगले वर्ष त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी करेगा।
शहरी सीमा विस्तार के बाद अब ग्रामीण निकायों के पुनर्गठन ने चुनावी समीकरण भी बदल दिए हैं। कई क्षेत्रों में वार्डों की पुनर्संरचना से स्थानीय नेताओं और प्रत्याशियों की रणनीति पर भी असर पड़ने की संभावना है।
परिसीमन से बदलेगा सियासी समीकरण
विशेषज्ञों का कहना है कि शहरीकरण की रफ्तार के साथ ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों की सीमाएं तेजी से बदल रही हैं। ऐसे में पंचायत वार्डों की संख्या घटने से कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।
अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों में नए परिसीमन का सीधा असर देखने को मिल सकता है।
“शहरी विस्तार के साथ गांवों का चेहरा बदल रहा है, और अब पंचायत राजनीति का गणित भी नया हो गया है।”

