श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सती प्रसंग और ध्रुव चरित्र का हुआ वर्णन
श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सती प्रसंग और ध्रुव चरित्र का हुआ वर्णन
रिपोर्ट-अमित पांडेय
जौनपुर/बदलापुर : कपिलभगवान ने माता देवहूति से कहा कि ये अशक्ति ही सुख दुख का कारण है। यदि संसार में ये अशक्ति है, तो दु:ख का कारण बन जाती है। यही अशक्ति भगवान और उनमें भक्ति में हो जाए तो मोक्ष का द्वार खुल जाता है। यह बात कठार ग्राम पंचायत में प्रधान अवनीश सिंह के घर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को कथा व्यास श्री दासानुदास चंदन कृष्ण शास्त्री जी महराज ने कहा। उन्होंने सती प्रसंग व ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए प्रभु चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि उनके शील गुण से प्रसन्न होकर भगवान ने प्रभुजी को उनकी रूचि के अनुसार दस हजार कानों की शक्ति प्राप्त करने का वरदान दिया, जिससे वे अर्धनिश प्रभु का गुणगान सुनते रहें। इसके बाद ऋषभ देव के चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को ऋषभ देव जी जैसा आदर्श पिता होना चाहिए। जिन्होंने अपने पुत्रों को समझाया कि इस मानव शरीर को पाकर दिव्य तप करना चाहिए, जिससे अंत:करण की शुद्धि हो तभी उसे अनंत सुख की प्राप्ति हो सकती है। भगवान को अर्पित भाव से किया गया कर्म ही दिव्य तप है। इस मौके पर मुख्य यजमान पूर्व प्रधान राम बहादुर सिंह, ग्राम प्रधान कठार अवनीश सिंह, श्वेतरंजन त्रिगुनायक, रजनीश सिंह, बीबीएम मंजू बाथम, मंगला प्रसाद सिंह आनंद सिंह अमित सिंह उत्तम सिंह विकास यादव मनोज तिवारी पुनीत तिवारी हरिहर सिंह सुरेंद्र दुबे रंजन सिंह, भोलू सिंह आदि मौजूद रहे।