सुगंधित पौधों की खेती से आत्मनिर्भर बन सकते हैं युवा — विशेषज्ञ
सर्वेश्वरी महाविद्यालय में उद्यमिता जागरूकता कार्यशाला आयोजित
जौनपुर, 6 नवम्बर।
सर्वेश्वरी महाविद्यालय, कमरुद्दीनपुर, रामपुर में गुरुवार को सुगंधित पौधों की खेती एवं विपणन विषय पर एक दिवसीय उद्यमिता जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला विकास आयुक्त कार्यालय, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित थी। कार्यक्रम का संचालन सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (FFDC) विस्तार इकाई, कानपुर द्वारा किया गया, जबकि सह-आयोजक के रूप में साईं इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी ने सहयोग दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ. परमेंद्र सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने कहा कि सुगंधित पौधों की खेती ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका का एक सशक्त माध्यम बन सकती है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक सुगंधित पौधों की ओर भी कदम बढ़ाएँ, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हों।
मुख्य वक्ता प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह (यू.पी. कॉलेज, वाराणसी) ने कहा कि औषधीय और सुगंधित पौधों से देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि इन पौधों से तैयार होने वाले तेल, इत्र और अन्य उत्पादों की देश-विदेश में बड़ी मांग है।

डॉ. भक्ति विजय शुक्ला (FFDC, कानपुर) ने अपने संबोधन में कहा कि जौनपुर क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु सुगंधित पौधों की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है। यदि इस दिशा में संगठित प्रयास किए जाएँ तो यह क्षेत्र सुगंधित उत्पादों का केंद्र बन सकता है।
आईपीआर विशेषज्ञ संजय रस्तोगी ने व्यावसायिक खेती और विपणन के तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसानों को आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार से जुड़ाव की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। वहीं, युवा उद्यमी शोभित की ने अपने अनुभव साझा करते हुए युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के B.A. के उत्तीर्ण विद्यार्थियों को टैबलेट वितरित किए गए, जिससे वे डिजिटल शिक्षा और उद्यमिता से जुड़ सकें। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन श्री अजय कुमार सिंह (निदेशक, SIRD, वाराणसी) ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ, शिक्षकगण, ग्रामीण युवा और उद्यमी शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि ऐसे आयोजन युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में प्रेरित करते हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।


