सोहांसा गांव में नाले की सफाई न होने से सैकड़ों बीघा धान की फसल जलमग्न, किसानों में भारी आक्रोश

सोहांसा गांव में नाले की सफाई न होने से सैकड़ों बीघा धान की फसल जलमग्न, किसानों में भारी आक्रोश
रिपोर्ट: विक्की गुप्ता | Hind24TV |
जौनपुर जिले के मुंगरा बादशाहपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सोहांसा गांव में इन दिनों किसान प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं। गांव के किनारे बहने वाले मुख्य नाले की लंबे समय से सफाई नहीं होने के चलते जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है, जिसके कारण हालिया वर्षा के पानी का भराव खेतों में हो गया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि सैकड़ों बीघा में खड़ी धान की फसल जलमग्न हो गई, जिससे किसानों की मेहनत और भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
किसानों की गुहार और प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया
समस्या की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को प्रभावित किसानों ने हल्का लेखपाल राम बाबू केशरवानी को इस संबंध में अवगत कराया। सूचना मिलते ही लेखपाल मौके पर पहुंचे और खेतों का निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि जलनिकासी न होने के कारण कई एकड़ क्षेत्र में धान की फसल पानी में डूबी हुई है। उन्होंने स्थिति को गंभीर मानते हुए तुरंत नहर विभाग के जेई रवि सिंह और एसडीओ आर.के. जायसवाल से फोन पर संपर्क कर जल्द से जल्द नाले की सफाई कराने की मांग की।
किसानों की चेतावनी: जल्द समाधान नहीं हुआ तो होगा आंदोलन
स्थानीय किसानों ने प्रशासन को स्पष्ट रूप से चेताया है कि यदि अगले कुछ दिनों में नाले की सफाई नहीं कराई गई, तो उनकी धान की पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। इसके साथ ही आने वाले रबी सीजन में गेहूं की बुआई भी संभव नहीं हो पाएगी, जिससे उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ेगी।
किसानों का कहना है कि वे पहले ही महंगे बीज, खाद और कीटनाशक पर खर्च कर चुके हैं। अगर उनकी फसल जलभराव के कारण नष्ट हो गई, तो उनके सामने आर्थिक संकट के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा का भी संकट खड़ा हो जाएगा।
प्रशासन की आश्वासन नीति
हल्का लेखपाल राम बाबू केशरवानी ने किसानों को आश्वस्त किया है कि उनकी बात को गंभीरता से लिया गया है और विभागीय अधिकारियों से लगातार संवाद किया जा रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि नाले की सफाई कार्य शीघ्र प्रारंभ कराया जाएगा, ताकि खेतों से पानी निकाला जा सके और फसल को बचाया जा सके।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति और समर्थन
इस दौरान गांव में किसानों की समस्याओं को सुनने और समर्थन देने पहुंचे कई स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौके पर मौजूद रहे। इनमें जिला पंचायत प्रत्याशी संदीप बिंद, सुरेंद्र पटेल, शेषमणि, बड़ेलाल, लाल बिंद, भईया राम बिंद, सीताराम पटेल, अमरनाथ, रामपति, और राम फकीर जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी ने एक स्वर में प्रशासन से मांग की कि नाले की सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर प्रारंभ हो, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके।
ग्रामीणों की पीड़ा: हर साल दोहराई जाती है यही कहानी
स्थानीय ग्रामीणों और किसानों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है। हर साल बारिश के मौसम में नाले की सफाई न होने से यही स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन प्रशासन की ओर से केवल आश्वासन ही मिलता है, स्थायी समाधान नहीं।
मांगें और सुझाव
- नाले की तत्काल सफाई की जाए
- जल निकासी के लिए स्थायी व्यवस्था बनाई जाए
- प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए
- सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग में बेहतर तालमेल हो
निष्कर्ष:
सोहांसा गांव के किसानों की यह समस्या प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की उदासीनता को उजागर करती है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल कृषकों की आजीविका, बल्कि क्षेत्र की खाद्य आपूर्ति और आर्थिक संरचना को भी प्रभावित कर सकता है।