हरियाली अमावस्या व्रत कथाः हरियाली अमावस्या के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, मिलती है पितरों की आत्मा को शांति
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इस महीने सोमवार और मंगलवार के व्रत के अलावा हरियाली तीज का भी व्रत किया जाता है. खास बात है कि इस दिन पूजन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. यह दान और पुण्य के लिए भी काफी खास है. अगर आप भी हरियाली अमावस्या का व्रत कर रहे हैं तो इससे जुड़ी कथा पढ़ना चाहिए
जानिए हरियाली अमावस्या व्रत कथा है
बहुत समय पहले एक राजा प्रतापी राजा था. उनको एक बेटा और एक बहू थे। एक दिन बहू ने चोरी से मिठाई खा लिया और नाम चूहे का लगा दिया। जिसकी वजह से चूहे को बहुत गुस्सा आ गया था . उसने मन ही मन निश्चय किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा. एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आयें हुए थे. सभी मेहमान राजा के कमरे में सोये हुए थे. बदले की आग में जल रहे चूहे ने रानी की साड़ी ले जाकर उस कमरे में रख दिया- जब सुबह मेहमान की आंखें खुली और उन्होंने रानी का कपड़ा देखा तो हैरान रह गए. जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी बहू को महल से निकाल देते है |
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रानी रोज शाम में दिया जलाती और ज्वार उगाने का काम करती थी। रोज पूजा करती गुडधानी का प्रसाद बांटती थी. एक दिन राजा उस रास्ते से निकल रहे थे तो उनकी नजर उन दीयों पर पड़ी. राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देखने के लिए भेज दिए क्या चमत्कारी चीज थी- सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे गए. उन्होंने वहां देखा कि दीये आपस में बात कर रही थी। सभी अपनी-अपनी कहानी बता रही थीं. तभी एक शांत से दीये से सभी ने सवाल किया कि तुम भी अपनी कहानी बताओ. दीये ने बताया वह रानी का दीया है. उसने आगे बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरें में रखा था और बेकसूर रानू को सजा दीया गया