हिंदुस्तान में आतंक फैलाने के लिए कराए विस्फोट, बांग्लादेश में पड़ी थी विस्फोट कांड की नींव

हिंदुस्तान में आतंक फैलाने के लिए कराए विस्फोट,बांग्लादेश में पड़ी थी विस्फोट कांड की नींव

मोहम्मद अरसद की खास रिपोर्ट
जौनपुर। अभियोजन के अनुसार मुहीबुल निवासी बांग्लादेश ने तिहाड़ जेल में एसीपी को बयान दिया था कि श्रमजीवी मैं आरोपियों द्वारा आरडीएक्स रखकर विस्फोट करने का उद्देश्य हिंदुस्तान में आतंक फैलाना था। साथ ही भारत मे लोगों को मार कर नकली नोट चलाकर जेहाद करना था। जिससे दुनिया देखे, आतंक फैले तथा भारत व यहां के लोग तबाह हों।

जौनपुर बांग्लादेश के राजशाही में डॉक्टर सईद व याहिया के नेतृत्व में भारत में ट्रेन में विस्फोट की मीटिंग की बाद आरोपी हूजी संगठन के हिलाल, रोनी, शरीफ उर्फ कंचन, तथा लश्कर-ए-तैयबा के ओबैदुर्रहमान व याहिया बांग्लादेश से बिना वीजा पासपोर्ट पद्मा नदी पार कर भारत की सीमा में पश्चिम बंगाल में घुसे। वहां पश्चिम बंगाल का नफीकुल विश्वास भी उनके साथ शामिल हो गया। सभी खुसरूपुर रेलवे स्टेशन के समीप ट्यूबवेल पर इकट्ठा हुए। खुसरूपुर के मियां टोला के हकीम मियां से विस्फोटक सामग्री व अटैची लिए। खुसरूपुर के प्लेटफार्म नंबर एक के उत्तर ट्यूबवेल के पास याहिया व ओबैदुर्रहमान ने बम बनाया। हिलाल व रोनी ने पटना के प्लेटफार्म नंबर 3 पर चेकिंग के बाद श्रमजीवी ट्रेन में जनरल बोगी में सीट के नीचे अटैची में बम रखकर सीट से बांधा जिसमें बाद में विस्फोट हुआ। ओबैदुर्रहमान व याहिया पटना से ही बम रखवाने के बाद बांग्लादेश चले गए। वहां तिहरे बम ब्लास्ट के आरोपित ओबैदुर्रहमान को पुलिस खोज रही थी। वह वापस भारत आया और रघुनाथगंज में फारेनर्स एक्ट में गिरफ्तार हुआ।

बांग्लादेश में पड़ी थी विस्फोट कांड की नींव

जौनपुर । श्रमजीवी विस्फोट कांड की नींव बांग्लादेश में पड़ी थी। दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार अनीसुल व मुहिबुल ने एसीपी संजीव के समक्ष बयान में कहा था कि हम लोग बांग्लादेश में मदरसा में जब पढ़ रहे थे। वहां 1985 में पीर साहब ट्रेनिंग दे रहे थे। वह कश्मीर व अफगानिस्तान में हो रहे जुल्मों के बारे में बताते थे। कहते थे जिहाद के लिए तैयार रहो ।किसी भी समय जरूरत पड़ सकती है। बाद में पता चला पीर साहब हूजी के कमांडर थे। हूजी को पाक की तंजीम जैश ए मोहम्मद मदद करती है। जुलाई 2005 में डॉक्टर सईद व याहिया ने अन्य आरोपितों के साथ बांग्लादेश के राजशाही में हिंदुस्तान में ट्रेन विस्फोट की योजना बनाई। योजना के अनुसार शरीफ को टारगेट की रेकी का काम दिया गया। हिलाल व रोनी को ट्रेन में बम रखने का काम दिया गया। याहिया व ओबैदुर्रहमान ने बम बनाया। नफीकुल आरोपितों के सहयोग में रहा।

पटना विस्फोट की राख से पहले खुलासा

जौनपुर । श्रमजीवी कांड में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में विस्फोटक पदार्थ आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल आयल व अलार्म घड़ी होने की पुष्टि हुई।वहीं घटना के डेढ़ माह बाद सितंबर 2005 को खुसरूपुर, पटना, बिहार में हकीम मियां के विस्फोट करके उड़ाए गए मकान की राख में भी इसी प्रकार के विस्फोटक पदार्थ पाए गए थे जिससे पहली बार श्रमजीवी कांड के खुलासे को दिशा मिली। वह यही मकान था यहां से श्रमजीवी कांड के आरोपियों ने बम बनाने का सामान खरीदा था।

तीन आरोपितों ने किया खुलासा

कोलकाता में देशद्रोह में गिरफ्तार वाराणसी के अब्दुल्ला ने पहली बार ओबैदुर्रहमान आदि का नाम श्रमजीवी कांड में लिया। कोलकाता के ही 8 फरवरी 2006 में गिरफ्तार जमशेदपुर निवासी तारिख अख्तर व नूरमोहम्मद ने बताया कि कई बार बांग्लादेश और पाकिस्तान गए हैं और ओबैदुर्रहमान ने बम बनाकर अपने साथियों से बम रखवा कर विस्फोट कराया था।

46 गवाह हुए थे परीक्षित

श्रमजीवी विस्फोट कांड में हिलाल, नफीकुल व सजायाफ्ता ओबैदुर्रहमान के मामले में कुल 46 गवाह परीक्षित हुए थे।

गेट नंबर 31 बी पर हुआ था विस्फोट

श्रमजीवी ट्रेन मुगलसराय से 14:35 पर लखनऊ के लिए चली। सिटी स्टेशन पर 16:44 बजे 2 मिनट रुकने के बाद ट्रेन आगे बढ़ी। हरपालगंज से 17: 15 बजे ट्रेन रवाना हुई। गेट नंबर 31बी से एक दो खंबा पहले अचानक 17:20 बजे हरपालगंज में कोइरीपुर स्टेशन के बीच धमाका हुआ। ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोका। ट्रेन के गार्ड जफर अली ने घटना की एफआईआर दर्ज कराया था।

दिल्ली के वकील ने आरोपितों के मामले में की थी बहस, बांग्लादेशी की फीस आई कहां से?

जौनपुर । श्रमजीवी विस्फोट कांड में दोषी करार किए गए बांग्लादेशी आतंकी हिलाल व बंगाल के नफीकुल के पास शुरुआत में कोई वकील नहीं था उनके पास कोई जमानतदार भी नहीं था। इसलिए सरकार की तरफ से पैरवी के लिए एमिकस क्यूरी ताजुल हसन नियुक्त किए गए। सरकारी वकील वीरेंद्र मौर्य ने बताया कि आरोपितों के मुकदमे में बहस करने के लिए पूर्व में आजमगढ़ के वकील भी आते थे।वर्तमान में बहस के समय दिल्ली के अधिवक्ता आरिफ आए थे। प्रश्न यह उठता है कि जिन आरोपितों के पास जमानतदार भी नहीं थे। महंगे वकील को फीस देने के लिए आरोपितों के पास रुपये कहां से आए। बांग्लादेशी आतंकी के मुकदमे की पैरवी व बहस के लिए महंगे वकील की फीस किसने अदा की।इसी प्रकार पूर्व में मृत्युदंड से दंडित बांग्लादेशी आतंकी ओबैदुर्रहमान व रोनी के मुकदमे की भी पैरवी हाईकोर्ट में मंहगे वकील कर रहे हैं।

हिलाल व नफीकुल का कैसे हुआ खुलासा

जौनपुर। श्रमजीवी विस्फोट कांड में आरोपी हिलाल निवासी बांग्लादेश व नफीकुल निवासी पश्चिम बंगाल का नाम इस विस्फोट कांड में बंगाल में जेल में बंद आरोपित ओबैदुर्रहमान ने 15 फरवरी 2006 को तथा बांग्लादेशी जुड़वा भाई अनीसुल व मुहीबुल ने 4 अप्रैल 2006 को विवेचक को बताया। आरोपी हिलाल व नफीकुल को 17 नवंबर 2005 को थाना कालिया चौक, मालदा टाउन द्वारा हत्या, हत्या के प्रयास आदि के दूसरे मामले में गिरफ्तार किए गए। 23 मार्च 2006 को जरिए वारंट बी सीजेएम कोर्ट में लाकर पेश किए गए। आरोप है कि जब विवेचक दोनों को कोर्ट के आदेश पर पुलिस कस्टडी रिमांड पर बिहार ले गए। तब उन्होंने खुसरूपुर रेलवे स्टेशन मियां टोली का तीन मंजिला मकान जहां विस्फोटक पदार्थ लिए गए होटल पैलेस दिखाया। जहां रजिस्टर में नफीकुल के ठहरने का जिक्र है। कांस्टेबल सुरेश व श्याम जी ने हिलाल की शिनाख्त किया। वाराणसी में हिलाल व रोनी श्रमजीवी ट्रेन के डिब्बे में घबराए हुए अटैची देख

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