काशी विश्वनाथ कॉडिंडोर बनकर तैयार 13 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे उद्धघाटन

काशी विश्वनाथ कॉडिंडोर बनकर तैयार 13 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे उद्धघाटन

वाराणसी से संवाददाता रविंद्र गुप्ता की रिपोर्ट

भारतवर्ष के विभिन्न अंचलों में स्थापित द्वादस ज्योतिर्लिंग करोड़ो हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इनमें भगवान काशी विश्वनाथ जी का अपना विशिष्ट स्थान है। श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में भगवान शंकर स्वयम निवास करते हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्वार मराठा साम्राज्य (मालवा राज्य) महाराष्ट्र की महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने लगभग 352 वर्ष पूर्व किया था। एवं पंजाब के महाराज रणजीत सिंह जी ने ढाई मन सोना लगभग 250 वर्ष पूर्व श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पर चढ़ाया था। इतिहास से भी पुरानी पवित्र काशी नगरी में स्थित भोलेनाथ जी का मंदिर है जिसे श्री काशी विश्वनाथ धाम का नाम देकर भव्यता प्रदान की गयी है।

 

इस काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण आगामी सोमवार 13 दिसंबर को यसस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया जाएगा। श्री काशी विश्वनाथ धाम के साथ ही साथ बनारस की गलियों, गंगा किनारे के घाट एवं पूरे बनारस शहर का कायाकल्प हो गया है। यहाँ के नागरिकों को देश-विदेश में यह कहने में गर्व होने लगता है कि हम काशी के निवासी है जहां का कण-कण शंकर है। हम इतिहास से भी पुरानी काशी में रहते है। विश्व में यह एक मात्र स्थान है जहां के महाशमशान में तीनों लोकों के स्वामी भोलेनाथ जी ब्रहम के अंग रूपी आत्मा को अपने में आत्मसात कर के मुक्ति प्रदान कर देते है। यह वो पवित्र काशी है जहां भगवान शंकर के जटाओं से निकली माँ गंगा अपने प्रभु का चरण पखारते हुए बहती है। वर्ष 1980 के दशक में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अरघे का सोना चोरी हो गया था। सोना मिलने पर 1983 में महा शिवरात्रि पर काशी में महामृत्युंजय मंदिर दारानगर (मैदागिन) से डेइसी के पुल (दशाश्वमेध) तक शिव बारात निकाली गयी थी।

यह शिव बारात विश्व में प्रथम बार काशी के पावन धरती से निकाली गई। इसको निकालने की प्रेरणा स्व० के० के० आनंद एडवोकेट, प० धर्मशील चतुर्वेदी साहित्यकार स्व० मोहम्मद इकराम खाँ माई डीयर, स्व० के० एल० के० चंदानी एडवोकेट, स्व० कैलाश केशरी जी स्व० शुशील त्रिपाठी पत्रकार एवं श्री दिलीप सिंह समाज सेवी से मिली। इस शिव बारात ने बनारस में प्रारम्भ जो धीरे-धीरे लक्खी मेले का रूप ले लिया है। काशी के शिव भक्त महाशिवरात्री पर इस शिव बारात को उत्सव के रूप में मनाते है।

1983 के बाद धीरे-धीरे यह शिव बारात देश के अन्य नगरों एवं भूटान व मलेशिया में भी निकाली जाने लगी है। देश-विदेश से लाखों लोग बराती बनने के लिए शिव बारात में शामिल होने के लिए आते है अपने आप को धन्य महसूस करते है ।।

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