जानिए बसपन का प्यार, कैसेट्स
जानिए अच्छे दिनों की परिभाषा क्या होती है, कोई मुझसे पूछे. कभी मेरे भी जलवे थे. एक समय था जब लोग मुझमें पैसा और वक्त दोनों ही तरह से निवेश करते थे. लोग अपनी “विल” में मुझे याद करें या न करें पर मैं लोगों के लिए किसी पूंजी विरासत से कम भी नहीं था. मिडिल क्लास घरों में मेरी बड़ी कद्र होती थी. लोग ड्राइंग रूम के शो केस में मुझे बहुत ही करीने से सजा के रखते थे.
जानिए जब भी मेहमान घर में आते तो मुझे देख, मुझ से ही जुड़ी चर्चा शुरू कर देते. जब जब मेरे चाहने वालों की जेब में कुछ एक्स्ट्रा माल आता, शेल्फ में रखी मेरी संख्या में इज़ाफ़ा हो जाता. मुझे नए दोस्त मिल जाते. दरअसल, मेरे अच्छे दिन तो तभी थे जब मैं लोगों के मनोरंजन का इकलौता साधन हुआ करता था.
दूरदर्शन का इकलौता विकल्प, कैसेट. जी, जब न सीडी मार्केट में थी और न ही यू ट्यूब पर प्लेलिस्ट बनाने का कोई ऑप्शन, उस समय के बच्चों का बस मैं ही एक टाइम पास था. कैसेट जी, मैं कैसेट हूं और ये “बावरा मन” आज मेरे ही अच्छे दिनों की चर्चा कर रहा है.’
कैसेट की याद में
आज बावरा मन अपने कैसेट की शेल्फों को साफ़ व्यवस्थित करने के चक्कर में उन दिनों की याद में खो गया है जब घरों में टेप रिकॉर्डर कैसेट वाला म्यूजिक सिस्टम होता था. बच्चों की जान टेप रिकॉर्डर में और उंगली कैसेट की चकरी में ही अटकी रहती थी. कुछ टेप रिकॉर्डरों में कैसेट टू कैसेट रिकॉर्डिंग का भी ऑप्शन होता था.
जिससे हम बच्चों को एक कैसेट से दूसरे कैसेट में कॉपी करने की आसानी हो जाती थी. रही होंगी “किताबें” हमारे मां पिता के ज़माने में उनकी बेस्ट फ्रेंड. हमारे अस्सी के दशक वाले बचपन को तो बस कैसेट्स का ही सहारा था. जिस तरह से लोग पन्ने पलट पलट किताब पढ़ते थे, हम कैसेट की ए/बी साइड उलट पुलट कर, फास्ट फॉरवर्ड, बैकवर्ड कर, संगीत सुना करते थे.
जानिए हमारे खाली समय का, पढ़ाई के समय का, पार्टी के समय का, प्यार में पड़ने वाले समय का… इन कैसेट्स ने एक अच्छे मित्र की तरह हमारा साथ कभी नहीं छोड़ा है. मौका कोई भी क्यों न हो, हमारे हर मौके के लिए, हर फ्लेवर का संगीत इन कैसेट्स में मौजूद रहा है. यहां तक कि हमारे स्टडी टेबल पर टेबल लैंप, पेन स्टैंड, कुछ किताबों के साथ इस टेप रिकॉर्डर की जगह भी सुरक्षित/आरक्षित रहा करती थी. इधर एग्जाम के लिए रात रात पढ़ाई करना, उधर कमरे में कैसेट रिकॉर्डर पर धीमा धीमा संगीत चलना. मानो पढ़ाई की रफ़्तार, कैसेट से निकलते हुए इस संगीत से ही तय हो रही हो. ख़ैर जो भी हो, उन दिनों की बात ही और थी.
कैसेट, एक प्रेम कहान
जानिए उन दिनों में सिर्फ़ पढ़ाई ही नहीं, दोस्ती बढ़ाने और प्यार का इज़हार करने के लिए भी कैसेट का आदान प्रदान किया जाता था. कैसेट गिफ्ट करना एक आम बात थी. ऐसा करते समय, दोस्त की संगीत में रुचि का खास ख्याल रखा जाता था. जैसी रुचि, वैसा संगीत और वैसा ही कैसेट. जीवन उस ज़माने में काफ़ी आसान था.
बात नब्बे के दशक की है. मेरी सहेली सीमा को प्यार का पहला एहसास हुआ. ऐसा एहसास उसे इसलिए भी हुआ क्योंकि उसे हमारे ही एक दोस्त ने बर्थडे पर एक कैसेट गिफ्ट किया था. कैसेट के कवर पर उस दोस्त ने लिखा था, “ऊपर वाला मेरी सीमा को आंधी के मौसम से बचा कर रखे, HBD”. बताने की ज़रूरत नहीं है कि ये कैसेट फिल्म आंधी और मौसम का था. और मुझे इस बात का भी विश्वास है कि सीमा ने उस कैसेट को जान से ज़्यादा संभाल कर रखा होगा क्योंकि आज वही मित्र उसका पति है.
इस तरह कैसेट, दोस्ती की बुनियाद भी रखते थे और रिश्ते की इमारत भी खड़ी करते थे. पर मेरे लिए आगे चल कर इस से एक व्यवसायिक नाता भी जुड़ गया. एफएम पर लेटेस्ट गानों को बजाने के लिए नब्बे के दशक में एक ही सोर्स होता था नए रिलीज़ वाले कैसेट्स. चूंकि रॉयल्टी का मामला होता था, म्यूजिक कंपनी, प्रोडक्शन हाउस, कैसेट का रजिस्टर्ड नंबर आदि विवरण लॉग बुक में नोट किए जाते थे. इसलिए आरजे इन गानों को रिकॉर्ड करवाने की बजाए नया कैसेट ही खरीदते थे. देखते देखते मेरे पास ड्रॉर भर भर के कैसेट्स हो गए. ये केसेट्स आज भी मेरे पास हैं. बस उन्हीं को अरेंज करते करते आज के इस टॉपिक पर पहुंची हूं.
लिरिक्स और आदर्श म्यूजिक स्टोर
आज हम जिस वक्त की बात कर रहे हैं उस समय गाड़ियों में भी कैसेट रिकॉर्डर चलते थे और स्टेज फंक्शंस में भी. ऐसे में “लिरिक्स” नाम का म्यूजिक स्टोर हमारी कॉलोनी के युवाओं का “हैंग आउट” कॉर्नर हुआ करता था. सभी युवा अपनी गाड़ियों में लाउड म्यूजिक बजाने के लिए लेटेस्ट कैसेट वहीं से लिया करते थे. विक्की भैया ने उन सबको बता रखा था कि मैं एफएम वाली आरजे हूं. उन सबमें भी अपना जलवा हो गया था. अच्छी बात ये थी कि वो म्यूजिक स्टोर वाले विक्की भैया किराए पर भी मुझे कैसेट्स दे दिया करते थे. अब किराए पर पुराने कैसेट्स तो मिल जाया करते थे,
जानिए नई फिल्मों के नए कैसेट्स नहीं. इस तरह अपनी पॉकेट से खरीदे हुए नए कैसेटों से हम अपने काउंटडाउन शोज़ किया करते थे. हिंदी गानों तक के कैसेट विक्की भैया पूरी तरह संभाल लिया करते थे. दिक्कत तब आती थी जब रेडियो पर अंग्रेज़ी के गाने बजाने होते थे. अंग्रेज़ी के गानों वाले कैसेट्स के लिए हमारा एक दूसरा गंतव्य स्थान होता था. जनपथ पर इंडियन ऑयल बिल्डिंग स्थित “आदर्श म्यूजिक स्टोर”. नए, पुराने, फिल्मी, इंस्ट्रुमेंटल हर तरह के वेस्टर्न म्यूजिक वाले कैसेट्स “आदर्श” पर ही मिलते थे. उनके पास दशकों से पाश्चात्य का जबरदस्त कलेक्शन रहा है. “आदर्श” बहुत समय तक वर्ल्ड म्यूजिक का एक बड़ा स्टोर रहा है. वहां से लिए हुए तमाम कैसेट्स मुझे आज भी उन पुराने दिनों की याद करवाते हैं.
नब्बे के दशक में सीडी आने के बाद कैसेट्स का जलवा ज़रा कम हो गया था पर उसकी सांसें अभी चल रहीं थीं. सांसों का बाजा कैसेट्स का तब बजा जब हिंदुस्तान डिजिटल हो गया और गाने पेनड्राइव में समाने लगे. आज कैसेट्स सिर्फ़ बीते दिनों की याद भर रह गए हैं. हमारी अलमारी की शान हो गए हैं. इनकी विंटेज वैल्यू हो गई है. विंटेज ही सही, इनकी मौजूदगी मुझे बीते बचपन की याद दिलाती है.