प्रयागराज: नालों का गंदा पानी सीधे गंगा-यमुना में बहाना नगर निगम के लिए महंगा पड़ सकता है।
प्रयागराज। नालों का गंदा पानी सीधे गंगा-यमुना में बहाना नगर निगम के लिए महंगा पड़ सकता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्यालय ने नगर निगम को कारण बताओ नोटिस भेज दिया है। नगर निगम से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में निगम पर 75 करोड़ आर्थिक दंड लगाएगा।
रेमिडियल शोधन के नालों का पानी गंगा-यमुना में बहाने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने नगर निगम को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। नगर निगम ने कोई जवाब नहीं दिया तो पीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय ने रिपोर्ट लखनऊ स्थित मुख्यालय भेज दी। इसके बाद मुख्यालय के सदस्य सचिव ने 75 करोड़ जुर्माने की राशि के साथ कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
जुलाई और अगस्त में शहर के 60 नालों का पानी बिना शोधन के ही गंगा-यमुना में बहा दिया गया था। जब पहली बार नोटिस दिया गया तो नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि मानसून नालों के पानी का शोधन नहीं किया जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नगर निगम के इस जवाब से संतुष्ट नहीं है।
यही वजह है कि अब दूसरा नोटिस जुर्माना की राशि तय करते हुए भेजा गया है। अगर बोर्ड को इस बार भी संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो वह निगम पर यह भारी भरकम जुर्माना लगा सकता है। इस नोटिस के बारे में पूछे जाने पर बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके सिंह कुछ भी बोलने से मना कर दिया। हालांकि निगम इससे खलबली मची है।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को भी जारी हो सकता है नोटिस
सूत्रों के अनुसार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों में क्षमता से अधिक पानी शोधन के मामले में भी पीसीबी मुख्यालय गंभीर है। पीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय ने की टीम ने मौके पर एसटीपी की जांच में पाया था कि एसटीपी में क्षमता से अधिक पानी का शोधन किया जा रहा है, जो मानकों के विपरीत है।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को इस लापरवाही पर नोटिस भेजा गया था। इकाई की ओर से भेजे गए जवाब से पीसीबी संतुष्ट नहीं है। लिहाजा जल्द ही पीसीबी मुख्यालय नगर निगम की तरह गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को भी कारण बताओ नोटिस भेज सकता है।