शायरी:दिल तोड़के तुम्हे भूल भी जाऊंगा कुछ यूं मैं तुमसे दूर ही जाऊंगा वहम में हो की तुम्हे याद करूंगा किसी और के साथ वही लम्हे जी भी जाऊंगा

लेखक- विवेक जाखड़

दिल तोड़के तुम्हे भूल भी जाऊंगा
कुछ यूं मैं तुमसे दूर ही जाऊंगा
वहम में हो की तुम्हे याद करूंगा
किसी और के साथ वही लम्हे जी भी जाऊंगा

लम्हे वही जो तुम्हे सुनहरे लगते थे
जो बस तुम्हे तेरे मेरे लगते थे

मैं तो भंवरा हूं मुझे प्यार ना करना
मेरे झूठे वादों पर तुम एतबार ना करना
शौंक है मेरा कली कली मंडराना
तुम कभी मुझसे इजहार ना करना

हुआ था मुझे भी प्यार तबसे टूटा हुआ हूं मैं
चाहिए था जिनका साथ उनसे छूटा हुआ हूं मैं
झांकके देखा जब अपने ही गिरेबान में मैंने
तबसे खुदसे तुमसे ज्यादा रूठा हुआ हूं मैं

दोस्ती इश्क फिर दगा , ताउम्र बस यही करता आया हूं
अपने फायदे के लिए लोगों पर मरता आया हूं

झूठ वो भी था की टूटा मेरा एक रोका था
असल में मुझे भी मिला कभी धोखा था

और कितना ही सच बताऊं अपने बारे में
रोया नहीं कभी सोच तेरे बारे में
दराज में रखी किताब खोल पढ़ लेना
असल में जान जाओगे मेरे बारे में

अब तुम पूछोगे वो दराज है कहां
जहां तुम बस्ती थी जगह है वहां
झूठ फरेब से बने महल के नीचे
एक छोटा सा सच का कमरा है जहां

उस कमरे में तुम्हे एक तयखाना मिलेगा
वहां तुम्हे मेरा गुम हुआ जमाना मिलेगा
जो गुम हो गई थी तुम्हारी पाजेब एक दफा
उस पाजेब का एक टुकड़ा पुराना मिलेगा

वो टुकड़ा उधार है तुम्हारा मेरे ऊपर
सच में कभी मरता था जिसके ऊपर
वापस आना हो तो बस इशारा कर देना
वही छज्जे पर पुराने जंगल के ऊपर।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Breaking News

Translate »
error: Content is protected !!
Coronavirus Update