पति पत्नी और वो – पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति को रास्ते से हटाया… पढिए पूरी खबर।

Pati Patni or Wo – यह मामला है ‘पति, पत्नी और वो’ का। 45 साल के कमलकांत शाह मुंबई के सांताक्रूज में रहते थे। टेक्सटाइल का जमा-जमाया कारोबार था। ज़िंदगी में किसी तरह की कोई कमी न थी। कमलकांत का एक जिगरी दोस्त था- हितेश जैन। 46 साल के हितेश का गारमेंट्स का बिजनेस था। वह रहता था विले पार्ले में। मुंबई में सांताक्रूज और विले पार्ले सटे-सटे उपनगर हैं। कमलकांत और हितेश का कारोबार एक ही जैसा था, दोनों हमउम्र भी थे। इसलिए उनका एक-दूसरे के यहां बराबर आना जाना था। इसी में कमलकांत की पत्नी कविता शाह से हितेश की नजदीकियां बढ़ गईं। इसी बीच दोनो ने मिलकर दिया सिनेमैटिक स्टोरी।

दोनों जांच के घेरे में आ गए। दोनों से कई दिनों तक पूछताछ होती रही। इसी दौरान जांच टीम ने कविता और हितेश के मोबाइल की सर्च हिस्ट्री भी देखी और मौत की पूरी गुत्थी सुलझ गई। दोनों ने आर्सेनिक और थैलियम केमिकल के बारे में कई बार सर्च किया था। हितेश ने इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए किसी से संपर्क भी किया था।

 

हालांकि, ये सारी बातें सामने आने के बाद भी कविता और हितेश अपना जुर्म कबूलने को तैयार नहीं थे। इसी बीच क्राइम ब्रांच ने कमलकांत के परिवार वालों से कविता के बारे में पूछताछ की। उन्होंने बताया कि कमलनाथ की मौत पर कविता के चेहरे पर किसी तरह का दुख नहीं दिखा। वह कमलकांत की टेक्सटाइल कंपनी की मशीनें बेचने और इंश्योरेंस के अपडेट लेने में ज़्यादा बिजी रही।

लेकिन, इस आधार पर दोनों की गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी। इसलिए क्राइम ब्रांच लगातार फरेंसिक और डिजिटल एविंडेंस जुटाती रही। सभी सबूतों को देखने के बाद आखिर में कविता और हितेश ने मान लिया कि कमलकांत की मौत कुदरती नहीं थी, बल्कि उन दोनों ने पूरा प्लान बनाकर उसका मर्डर किया है। दोनों लगातार उसके खाने में ज़हरीला केमिकल मिलाते रहे, जो आखिर में कमलकांत की मौत की वजह बना।

 

इसके बाद क्राइम ब्रांच ने कमलकांत की बहन के ज़रिए हितेश और कविता के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई और दोनों आरोपियों को 2 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया। जांच में यह बात भी सामने आई कि हितेश और कविता पिछले करीब एक दशक से रिलेशनशिप में थे। कविता से हितेश शादी भी करना चाहता था। इन्हीं सब बातों को लेकर कविता और कमलकांत झगड़ते रहते। हितेश शादी के बहाने कमलकांत की पूरी प्रॉपर्टी भी हड़पना चाहता था।

 

स्लो पॉइजन से जान लेने का लंबा इतिहास है। पुराने जमाने की कई कहानियां बताती हैं कि राजा-महाराजा, उत्तराधिकारियों, बड़े नेताओं की हत्या की साजिश में इसी तरह के ज़हर का इस्तेमाल होता था। इन्हें खाने में मिलाकर दिया जाता। इनका असर भी देर से होता, तो कोई जल्दी शक भी नहीं करता था। इसे कई सदियों से हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

कमलकांत मामले में अब क्राइम ब्रांच इस बात की भी जांच कर रही है कि कविता ने अपनी सास को भी ज़हरीला केमिकल देकर ही तो नहीं मारा, क्योंकि उनकी मौत भी कमलकांत की ही तरह हुई थी।

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