कुख्यात संजीव जीवा का भी भरी कचहरी में नये लड़के ने किया काम तमाम,नौसिखिये ढहा रहे बड़े माफियाओं का साम्राज्य
माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ शूटआउट को नौसिखियों ने दिया अंजाम,
नौसिखिये ढहा रहे बड़े माफियाओं का साम्राज्य
कुख्यात संजीव जीवा का भी भरी कचहरी में नये लड़के ने किया काम तमाम
रिपोर्ट-पंकज रॉय
जौनपुर। प्रयागराज के नामी माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में मौत के घाट उतारने की वारदात हो या लखनऊ में पेशी के दौरान भरी कचहरी में कुख्यात बदमाश संजीव जीवा पर गोलियों की बौछार की घटना, दोनों को किसी नामी-गिरामी शूटरों ने अंजाम नहीं दिया।
दोनों वारदातों में नये और नौसिखिये शूटरों का इस्तेमाल किया गया। दरअसल बाबा के बुलडोजर के खौफ से बड़े शूटर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने से कतरा रहे हैं। माफियाओं का सफाया करने के लिए जरायम की नई पौध का सहारा लिया जा रहा है।
बीते 15 अप्रैल को प्रयागराज में जब मीडिया कर्मी के भेष में तीन नये लड़कों ने माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ को ताबड़तोड़ गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया तो उनका आपराधिक इतिहास एवं कनेक्शन खंगाला जाने लगा। छानबीन में तीनों नये शूटर निकले।
आरोपी लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरूण मौर्य का कोई खास आपराधिक कनेक्शन सामने नहीं आया। तीनों लड़कों ने अतीक अहमद के माफिया राज का पलभर में अंत कर दिया। पुलिस कस्टडी में मेडिकल कराने के दौरान अस्पताल के बाहर हुई दुस्साहसिक वारदात से सनसनी फैल गई थी।
सरकार व सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गये थे। इस जघन्य वारदात के बाद बाद पुलिस का बयान सामने आया कि तीनों मशहूर होने के लिए अतीक का एनकाउंटर किए।
7 जून को जब लखनऊ में एक मामले में पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी गैंग के कुख्यात शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई तो माफिया अतीक अहमद व उसके भाई के एनकाउंटर की यादें ताजा हो गई। वहां हमलावर मीडिया कर्मी के भेष में आये थे और यहां वकील की ड्रेस में थे।
वहां भी तीनों हमलावर 20 से 25 वर्ष की उम्र के थे। यहां भी करीब 20-21 वर्ष का लड़का। वहां तीनों ने खुद को सरेंडर कर दिया तो लखनऊ में वकीलों ने उसे दबोच लिया। जीवा को मौत के घाट उतारने वाले का नाम विजय यादव है।
वह जौनपुर के केराकत कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सरकी सुल्तानपपुर गांव का निवासी है। प्रदेश की राजधानी को अपनी गोलियों से थर्राने वाले इस नये शूटर के कारनामें से जौनपुर जनपद सुर्खियों में आ गया।
पुलिस इसका आपराधिक इतिहास खंगालने में जुट गई। सर्किल असफर सहित केराकत कोतवाली पुलिस टीम उसके घर पहुंच गई। पूछताछ में पता चला कि विजय यादव के खिलाफ वर्ष 2016 में सिर्फ एक नाबालिग लड़की को भगाने का आरोप है।
उसके पिता श्यामा यादव ने बताया कि विजय मुंबई में टाटा कंपनी में काम करता था। वहां से नौकरी छोड़कर घर चला आया। डेढ़ माह बाद रोजगार के सिलसिले में लखनऊ गया था। बीते 10 मई को मामा की लड़की शादी में आया था। फिर अगले ही दिन वापस चला गयाा। उसके बाद से कोई बातचीत नहीं हुई।
मिलाने पर मोबाइल नंबर बंद बता रहा था। विजय यादव द्वारा कुख्यात शूटर जीवा को गोलियों से छलनी करने की खबर से स्वजन सहित गांव वाले भी अचंभित हैं।
उन्हें विश्वास ही नहीं हाो रहा कि विजय यादव इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। मुंबई में एक कंपनी में काम करने वाला 20 साल का लड़का कब और कैसे शूटर बन गया यह तो पुलिस की जांच में सामने आयेगा।
फिलहाल दोनों घटनाओं से एक बात साफ है कि कोई ‘अदृश्य शक्ति’ है जो माफियाओं के साम्राज्य का खात्मा चाहता है। बड़े शूटरों द्वारा इनकार करने पर कुख्यात माफियाओं के अंत के लिए नौसिखियों का सहारा ले रहा है।
उन्हें अत्याधुनिक व मंहगे हथियार मुहैया करा रहा है। यह ‘अदृश्य शक्ति’ जरायम की दुनिया का भी हो सकता है और कानून व्यवस्था संभालने वाले विभाग का भी