वर्ष 2024:- दो लोकतांत्रिक देशों के शासनाध्यक्ष के निर्वाचन का वर्ष

वर्ष 2024:- दो लोकतांत्रिक देशों के शासनाध्यक्ष के निर्वाचन का वर्ष

रिपोर्ट–अमित पांडेय

वर्ष 2024 इस दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष विश्व के दो महान लोकतांत्रिक देशों के शासनाध्यक्षों का निर्वाचन होना है।जहाँ एक तरफ संसदीय लोकतंत्र वाले देश भारत में प्रधान मंत्री का निर्णय होना है, वहीं दूसरी तरफ, अध्यक्षात्मक लोकतांत्रिक प्रणाली वाले देश संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है तो वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली और एक मात्र महाशक्ति का गौरव प्राप्त लोकतांत्रिक देश है। शासन प्रणाली में अन्तर के कारण दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के निर्वाचन और स्थिति में अन्तर है परन्तु लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के अन्तर्गत होने वाले निर्वाचन के कारण इन दोनों देशों की जनता ही नहीं पूरी दुनिया इन दोनों के निर्वाचन और उसके परिणामों के प्रति उत्सुक रहती है।
भारत संसदीय शासन प्रणाली वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहाँ शासनाध्यक्ष प्रधान मंत्री होता है जो प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि सदन (लोक सभा) में बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल या राजनीतिक दलो के गठबंधन का नेता होता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री नियुक्त किया जाता है और फिर प्रधान मंत्री की सलाह से मंत्रि परिषद के अन्य मंत्रियो की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। मंत्रि परिषद प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शासन का कार्य करती है और यह लोक सभा के माध्यम से जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
संयुक्त राज्य में अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है, अतः अध्यक्षात्मक कार्यपालिका का प्रमुख होने के कारण अमेरिका में राष्ट्रपति की शक्तियां बहुत व्यापक है। उसका निर्वाचन जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता है। जनता राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिये एक निर्वाचक मण्डल का निर्वाचन करती है. यह निर्वाचक मण्डल चुनाव वर्ष के नवम्बर माह के प्रायः प्रथम मंगलवार तक गठित हो जाता है। यही निर्वाचक दिसम्बर महीने में राष्ट्रपति का निर्वाचन करते हैं।
भारत के प्रधान मंत्री को लोक सभा में बहुमत का समर्थन खो देने पर त्यागपत्र देना पड़ता है। परन्तु अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल चार वर्ष निश्चित किया गया है। चार साल से पहले इसे साधारणतयः हटाया नहीं जा सकता, उसे केवल महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है, महाभियोग की यह प्रक्रिया अत्यन्त जटिल है। 1789 से लागू संविधान के अन्तर्गत आजतक किसी राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया नहीं जा सका है।
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली आधुनिक युग की सर्वोत्तम शासन प्रणाली है, जिसमें जनता की भागीदारी सर्वाधिक होती है। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत और दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली देश संयुक्त राज्य अमेरिका के शासनाध्यक्षों का विश्वव्यापी प्रभाव होता है। अपने कुशल नेतृत्व के चलते भारत के प्रधान मंत्री और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति विभिन्न अन्तराष्ट्रीय समस्याओं और जटिलताओं के निराकरण में सार्थक भूमिका अदा करने की क्षमता रखते हैं। मई माह तक भारत के और नवम्बर महीने में अमरीका में क्रमशः प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम का पता दुनिया को लग जायेगा। यद्यपि अमेरिका में निर्वाचक मण्डल के द्वारा रामपति का औपचारिक निर्वाचन दिसम्बर माह में होता है पर निर्वाचक मण्डल में प्राप्त संख्या के आधार पर विजयी होने वाले प्रत्याशी का पता चल जाता है, जिस प्रत्याशी को निर्वाचकों का बहुमत प्राप्त हो जाता है, वही औपचारिक रुप से अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाता है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति अगले वर्ष 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करता है। जनवरी 2025 में चार वर्ष के लिये दुनिया के इस सर्वाधिक शक्तिशाली देश के सर्वाधिक शक्तिशाली नेता द्वारा अपना कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा। भारत में, वर्तमान में जो राजनीतिक परिदृश्य है और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की जो लोकप्रियता है, उनकी जो कार्यशैली है, उसके आधार पर यह अनुमान लगाना कि वे तीसरे कार्यकाल के लिये निर्वाचित हो जायेंगे गलत नही होगा। अमरीका में राष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया को गति पकड़ने में अभी समय है क्योंकि वहां नवम्बर माह के प्रथम मंगलवार को निर्वाचक मण्डल का चुनाव होगा।

लेखक -डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह (पूर्व अध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग)
संत तुलसीदास पी.जी. कालेज
कादीपुर, सुलतानपुर

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