तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में भी किताबों का आकर्षण कम नहीं हुआ है-प्रो राघवेंद्र कुमार पाण्डेय

- तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में भी किताबों का आकर्षण कम नहीं हुआ है-प्रो राघवेंद्र कुमार पाण्डेय
रिपोर्ट-मनोज कुमार सिंह
जलालपुर — कुटीर पीजी कॉलेज चक्के में मंगलवार को पुस्तकालय दिवस के अवसर पर पुस्तक प्रदर्शनी के आयोजन में महाविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में पुस्तकों का अवलोक करते हुए प्राचार्य प्रो राघवेंद्र कुमार पाण्डेय ने छात्रों को बताया कि तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में अभी भी किताबों का आकर्षण कम नहीं हुआ है। पुस्तक हमारे सच्चे साथी, है। पुस्तक प्रेमियों, विद्यार्थियों और साहित्यप्रेमी युवाओं ने पुस्तक संस्कृति के महत्व पर अपने विचार साझा किए। पुस्तकालय अध्यक्ष विद्यानिवास मिश्र ने कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के युग में भी पुरानी किताबों की दुकानों, लाइब्रेरी और पुस्तक मेलों में उमड़ती भीड़ बताती है कि पाठकों का जुड़ाव अब भी गहरा है। उन्होंने कहा कि पुस्तकों से न केवल ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि यह धैर्य, एकाग्रता और सोचने-समझने की क्षमता को भी विकसित करता है। वक्ता डॉ सीबी पाठक ने कहा कि आज के समय में यह मान लेना कि लोग किताबों से दूर हो गए हैं, गलत है। पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। पुस्तकें केवल जानकारी का स्रोत नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और जीवन दृष्टिकोण का आधार भी हैं। चर्चा में यह बात प्रमुखता से उभरी कि कुछ दशक पहले घर में छोटी-सी लाइब्रेरी होना गर्व की बात होती थी। जो लोग पुस्तकें खरीद नहीं सकते थे, वे संस्थागत पुस्तकालय से किताब निकाल कर पढ़ते थे। यह केवल पढ़ने की आदत नहीं, बल्कि ज्ञान साझा करने की परंपरा थी। लेफ्टिनेंट प्रो चित्रसेन गुप्ता ने कहा कि बदलते समय में पुस्तक प्रेम को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। लाइब्रेरी की आदत और युवाओं में साहित्यिक पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा देने की अपील की गई। इस अवसर पर डॉ योगेश पाठक, डॉ अनुज कुमार शुक्ला, डॉ विनय कुमार पाठक, आइक्यूएसी प्रभारी वाचस्पति त्रिपाठी, पुस्तकालय समिति सदस्य रविकाश मौर्य ,डॉ अनूप पाल, आलोक प्रजापति, डॉ एनपी मिश्र, डॉ श्रीनिवास तिवारी, अतुल कुमार पाण्डेय, दुर्गेश मिश्र आदि मौजूद रहे ।