आवास योजनाओं की पोल खोलता सोशल ऑडिट: आदमपुर गांव में 33 में से 33 मकान अधूरे, मुनादी तक नहीं हुई

आवास योजनाओं की पोल खोलता सोशल ऑडिट: आदमपुर गांव में 33 में से 33 मकान अधूरे, मुनादी तक नहीं हुई
स्थान: जौनपुर, बरसठी
तिथि: 20 अगस्त 2025
रिपोर्टर: निशांत सिंह | Hind24TV
बरसठी विकासखंड के आदमपुर गांव में बुधवार को सोशल ऑडिट के नाम पर महज औपचारिकता निभाई गई। तीन दिन तक चली इस प्रक्रिया में न तो समय से दस्तावेजों का मिलान हुआ और न ही ग्रामीणों को बैठक की जानकारी दी गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बने 33 में से 33 मकान अधूरे पाए गए।
नई टीम, अनुभव की कमी
सोशल ऑडिट टीम की अगुवाई कर रहीं बीआरपी आशा यादव ने खुद स्वीकार किया कि वह हाल ही में टीम में शामिल हुई हैं और उन्हें प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि आवास योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण किया गया, जिसमें सभी आवास अधूरे मिले। यह रिपोर्ट शासन को सौंपी जानी है।
मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का नहीं मिला हिसाब
सोशल ऑडिट के तहत मनरेगा में कार्यरत मजदूरों के लेबर चार्ज और भुगतान की जानकारी भी टीम जुटा पाने में असफल रही। इससे जाहिर होता है कि न केवल योजनाओं का क्रियान्वयन अधूरा है, बल्कि उनके लेखाजोखे में भी पारदर्शिता नहीं है।
ग्रामीण बोले – हमें तो पता ही नहीं चला
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में न तो सोशल ऑडिट की कोई मुनादी कराई गई, न ही कोई खुली बैठक आयोजित की गई। अचानक कंपोजिट विद्यालय में एक बैठक कराकर सोशल ऑडिट की प्रक्रिया पूरी कर दी गई, जिसमें ग्रामसभा की सहभागिता शून्य रही।
प्रक्रिया का उल्लंघन, जवाबदेही तय होगी?
नियमों के अनुसार, सोशल ऑडिट टीम को दो दिन पहले गांव पहुंचकर अभिलेखों का मिलान करना होता है और गांव में मुनादी कराकर बैठक की जानकारी देनी होती है। लेकिन आदमपुर गांव में इस पूरी प्रक्रिया की अनदेखी की गई।
जिला समन्वयक राजेश पाल ने कहा कि सोशल ऑडिट टीम द्वारा कराए गए भौतिक सत्यापन की जानकारी ली जा रही है और बैठक प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की जांच कराई जाएगी।
निष्कर्ष:
सोशल ऑडिट, जो ग्रामीण योजनाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता का आईना होना चाहिए, वह खुद सवालों के घेरे में है। आदमपुर गांव की यह घटना प्रशासनिक उदासीनता और जन सहभागिता की विफलता का जीवंत उदाहरण बन गई है।