सारस की कहानी: घायल मिला, वन कर्मियों ने पाला… अब बना पूरे इलाके का सुपरस्टार!

सारस की कहानी: घायल मिला, वन कर्मियों ने पाला… अब बना पूरे इलाके का सुपरस्टार!
📍 जौनपुर | Hind24TV स्पेशल रिपोर्ट
अगर आप मछलीशहर ब्लॉक मुख्यालय की तरफ जा रहे हैं और अचानक सड़क किनारे एक सुंदर, विशाल पक्षी आपको अपनी ओर आकर्षित कर ले — तो चौंकिए मत! ये कोई साधारण पक्षी नहीं, बल्कि एक ‘रेस्क्यू हीरो सारस’ है, जो इन दिनों जौनपुर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
लोग लगाते हैं ब्रेक… खींचते हैं सेल्फी!
जंघई से मछलीशहर जाने वाले रास्ते पर, मछलीशहर वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय के पास जैसे ही लोग इस खूबसूरत सारस को खुले में टहलते देखते हैं, गाड़ियाँ रुक जाती हैं। राहगीर नज़दीक आते हैं, मोबाइल कैमरे ऑन करते हैं और “एक सेल्फी तो बनती है” कहते हुए फोटो खींचते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है।
कैसे बदली सारस की किस्मत?
कुछ महीने पहले ये सारस गंभीर रूप से घायल मिला था। वन विभाग की टीम ने इसे समय रहते इलाज दिया, उसकी देखभाल की और प्यार से उसकी सेवा की। वन कर्मियों ने इसे सिर्फ एक ‘रोगी’ नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा समझा।
धीरे-धीरे ये पक्षी इतना घुल-मिल गया कि अब रेंजर ऑफिस और वहां की पौधशाला ही इसका घर बन गया है। प्राकृतिक माहौल, खुले आसमान और इंसानी स्नेह ने इसे न सिर्फ ठीक किया, बल्कि एक ‘स्टार’ बना दिया।
“सारस से मैं बहुत छोटा हूं!” – मासूम साहस सिंह
यूकेजी के छात्र साहस सिंह जब अपने स्कूल ग्रुप के साथ सारस को देखने पहुंचे, तो उन्होंने उत्साह से कहा – “सारस से मैं बहुत छोटा हूं!” यह मासूम प्रतिक्रिया हर किसी को भावुक कर गई। यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं थी, बल्कि एक जीवंत शिक्षा थी – जो बच्चों को प्रकृति, पक्षियों और जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम और करुणा सिखा रही है।
जौनपुर के बच्चों को मिला ‘जीवित चिड़ियाघर’
आपको बता दें कि प्रदेश में मुख्य चिड़ियाघर लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर में हैं — जो जौनपुर से बहुत दूर हैं। ऐसे में जौनपुर के लाखों बच्चों के लिए यह सारस एक ‘जीवित चिड़ियाघर’ बन चुका है। अब बच्चों को टीवी पर नहीं, बल्कि रियल लाइफ में एक सुंदर और दुर्लभ पक्षी देखने का मौका मिल रहा है — वो भी मुफ्त में और बिल्कुल पास से।
वन विभाग की संवेदनशीलता को सलाम
इस पूरे घटनाक्रम में मछलीशहर वन विभाग की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। उन्होंने केवल एक घायल पक्षी की जान नहीं बचाई, बल्कि उसे इस कदर अपनाया कि अब वो पूरे जिले की पहचान बन गया है।
क्या आपने सारस के साथ अपनी सेल्फी ली?
अगर नहीं, तो अगली बार जब आप मछलीशहर की ओर जाएं, तो जरूर रुकें। ये सिर्फ एक तस्वीर नहीं, एक यादगार अनुभव होगा। और हां, सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय #SarasOfJaunpur टैग करना न भूलें।
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