“काजल लगाए हिरनी और गूंजता भारत… डॉ. क्षेम की जयंती पर कवियों ने बांधा समां!”

“काजल लगाए हिरनी और गूंजता भारत… डॉ. क्षेम की जयंती पर कवियों ने बांधा समां!”
जौनपुर में डॉ. श्रीपाल सिंह क्षेम की 103वीं जयंती पर कवि सम्मेलन में साहित्य, श्रृंगार, ओज और हास्य की बयार बह चली
जौनपुर | Hind24tv डिजिटल डेस्क
जौनपुर के साहित्यिक आसमान पर उस समय सितारे चमक उठे जब साहित्य वाचस्पति डॉ. श्रीपाल सिंह क्षेम की 103वीं जयंती के उपलक्ष्य में सिद्धार्थ उपवन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम ने न केवल डॉ. क्षेम के काव्य को सजीव किया, बल्कि मंच पर श्रृंगार, ओज और हास्य की त्रिवेणी ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।
“तुम गेसू संवारा करो…” से हुआ श्रृंगार रस का आगाज़
आजमगढ़ की प्रसिद्ध कवयित्री आराधना शुक्ला ने जब अपनी पंक्तियों —
“तुम गेसू संवारा करो, मैं दुपट्टे कोना चबाती रहूं…”
से मंच को छेड़ा, तो पूरा पंडाल भावनाओं में डूब गया। उनकी आवाज़ में लय और भावनाओं में प्रवाह था, जिसने श्रोताओं को मौन में झंकृत कर दिया।
🇮🇳 “मैं भारत हूं!”—ओज के कवि अतुल वाजपेई की हुंकार
इसके बाद मंच पर आए ओज के प्रवक्ता अतुल वाजपेई, जिन्होंने दमदार आवाज़ में कहा:
“सर्वोच्च रहेगा कीर्ति केतु, मैं सवा अरब की ताकत हूं, मैं भारत हूं, मैं भारत हूं!”
उनकी कविताओं ने देशभक्ति का ज्वार पैदा किया। युवाओं में जोश भर गया और तालियों की गड़गड़ाहट ने उनके स्वर को मंच से आसमान तक पहुंचा दिया।
“नेता गिरगिट का भी बाप है!”—सर्वेश अस्थाना का व्यंग्य तीर
हास्य-व्यंग्य के लिए मशहूर कवि सर्वेश अस्थाना ने राजनीति पर करारा तंज कसते हुए कहा:
“किसी नेता से गिरगिट की तुलना करना महापाप है,
क्योंकि रंग बदलने में नेता गिरगिट का भी बाप है!”
यह सुनते ही सभागार में ठहाकों की लहर दौड़ गई। उनके व्यंग्य में सच की चुभन और हास्य की मिठास दोनों शामिल थीं।
“किसी हिरनी ने अपनी आंख में काजल लगाया क्या?” —बुद्धिनाथ मिश्र का भावपूर्ण गीत
गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने जब यह पंक्तियां पढ़ीं —
“जरूरत क्या तुम्हारे रूप को श्रृंगार करने की,
किसी हिरनी ने अपनी आंख में काजल लगाया क्या?”
तो दर्शकों की आंखें नम हो गईं। उनकी दूसरी रचना
“एक बार जाल और फेंक रे मछेरे, जाने किस मछली में बंधन की चाह हो।”
ने रिश्तों और स्वतंत्रता के प्रतीकों को बेहद गहराई से छुआ।
डॉ. क्षेम के योगदान को किया गया याद
कार्यक्रम के पहले चरण में राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी ने डॉ. क्षेम को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे एक महान शिक्षक और साहित्यकार थे, जो छात्रों को घर बुलाकर पढ़ाते थे। डीएम डॉ. दिनेश चंद्र ने कहा कि साहित्यकार समाज की आत्मा होते हैं, और डॉ. क्षेम की कविताएं आज भी जीवित हैं।
एसपी डॉ. कौस्तुभ ने साहित्य की सामाजिक भूमिका को रेखांकित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व लोक सेवा आयोग सदस्य प्रो. आरएन त्रिपाठी ने की। उन्होंने कहा कि —
“पांव में हो थकान, अश्रु भीगे नयन,
राह सूनी मगर गुनगुनाते चलो…”
जैसी पंक्तियां डॉ. क्षेम की साहित्यिक अमरता का प्रमाण हैं।
सम्मान और स्मृति का संगम
सभी अतिथियों व कवियों को शॉल, स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
संचालन डॉ. मधुकर तिवारी ने किया और आभार ज्ञापन शशि मोहन सिंह क्षेम द्वारा हुआ।
कार्यक्रम में मौजूद रहे अनेक गणमान्य लोग:
पंडित रामकृष्ण त्रिपाठी, डॉ. समर बहादुर सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह, एडवोकेट वीरेंद्र सिंह, डॉ. विभा तिवारी, राजीव पाठक, लोलारख दुबे, रामशृंगार शुक्ल, रत्नाकर सिंह, पत्रकार जेड हुसैन, कर्मचारी नेता प्रदीप सिंह, ब्लॉक प्रमुख धीरू सिंह समेत शहर के सैकड़ों गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
Hind24tv विशेष रिपोर्ट:
शहर में साहित्य की खुशबू बिखेरने वाले इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि जौनपुर की धरती न केवल इतिहास से समृद्ध है, बल्कि साहित्यिक चेतना से भी ओतप्रोत है।
✍️ रिपोर्ट: Hind24tv न्यूज़ डेस्क, जौनपुर