Jaunpur News:रामपुर में फर्जी अस्पतालों का साम्राज्य: बिना डिग्री, बिना लाइसेंस चल रहा इलाज का कारोबार

रामपुर में फर्जी अस्पतालों का साम्राज्य: बिना डिग्री, बिना लाइसेंस चल रहा इलाज का कारोबार
स्वास्थ्य विभाग बेखबर या लाचार? कमीशनखोरी के जाल में उलझी स्वास्थ्य व्यवस्था, मरीजों की जान से खिलवाड़
जौनपुर। जिले के रामपुर विकासखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह अवैध और अनधिकृत निजी क्लीनिकों के कब्जे में जाती नजर आ रही हैं। गांव-गांव और बाजारों में बिना किसी मेडिकल डिग्री या लाइसेंस के लोग “डॉक्टर” बनकर इलाज कर रहे हैं — और यह खेल प्रशासन की आंखों के सामने खुलेआम चल रहा है।
योग्यता नहीं, फिर भी कर रहे इलाज
जांच में सामने आया कि इन तथाकथित चिकित्सकों के पास या तो कोई डिग्री ही नहीं है, या केवल आयुर्वेदिक प्रशिक्षण लेकर एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है। क्लिनिक चलाने के लिए अनिवार्य क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2010 के तहत न तो ये पंजीकृत हैं, न ही प्रशिक्षित।
इलाज नहीं, धंधा बन गया है स्वास्थ्य सेवा
रामपुर ब्लॉक के विभिन्न गांवों में पत्रकारों की टीम ने जब वास्तविकता जानी, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:
- मरीजों को भर्ती कर अवैध रूप से मोटी रकम वसूली जाती है।
- इलाज के नाम पर खानापूरी कर, हालत बिगड़ने पर उन्हें निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है।
- इन रेफर किए गए मरीजों के बदले कमीशन की मोटी रकम क्लिनिक संचालकों को मिलती है।
- इस पूरे सिस्टम में मरीज और उसका परिवार मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से टूट जाता है।
इन इलाकों में फर्जी क्लीनिकों की भरमार
रामपुर ब्लॉक के कस्बा रामपुर, सधीरनगंज, मठिया, पचवल, सिधवन, मारिकपुर, सुरेरी, हनुमानगंज, कसेरू, सुल्तानपुर, करौंदी जैसे क्षेत्रों में कई अवैध क्लिनिक संचालित हो रहे हैं। इनमें से कई घर के एक कमरे को ही अस्पताल बनाकर खुलेआम लोगों का इलाज कर रहे हैं।
स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी की स्वीकारोक्ति: “सिर्फ दो-चार ही वैध हैं”
रामपुर सीएचसी के प्रभारी डॉ. प्रभात यादव ने पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया:
“विकासखंड में दो-चार को छोड़कर किसी के पास उचित मेडिकल डिग्री और क्लिनिक संचालन का लाइसेंस नहीं है। सब मनमाने ढंग से क्लिनिक चला रहे हैं। यह गंभीर विषय है।”
यह बयान स्वयं स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
कानून क्या कहता है?
- क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2010: बिना लाइसेंस क्लिनिक/अस्पताल चलाना दंडनीय अपराध।
- भारतीय चिकित्सा परिषद (NMC) और राज्य चिकित्सा परिषद के नियमानुसार, बिना मान्यता प्राप्त डिग्री के इलाज करना अवैध।
- IPC की धाराएं 419 (छल), 420 (धोखाधड़ी), 304A (लापरवाही से मृत्यु), 336, 269 आदि के तहत FIR व सजा संभव।
जनता की मांग: तुरंत कार्रवाई हो
स्थानीय ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने इस मुद्दे पर कड़ा रोष जताया है। उनकी मांग है कि:
- स्वास्थ्य विभाग तत्काल छापेमारी कर इन फर्जी क्लिनिकों को बंद करे।
- साथ ही विभागीय अधिकारियों की भूमिका की जांच हो कि यह सब किसके संरक्षण में चल रहा है।
यह रिपोर्ट जनहित में प्रकाशित की जा रही है, ताकि लोगों को अपने स्वास्थ्य अधिकारों की जानकारी हो और प्रशासन जिम्मेदारी निभाए।