जौनपुर गोलीकांड: पुलिस की तत्परता और डॉ. अरुण सिंह की मेहनत से बची युवक की जान

जौनपुर गोलीकांड: पुलिस की तत्परता और डॉ. अरुण सिंह की मेहनत से बची युवक की जान
जौनपुर।
जिले के सरायख्वाजा थाना क्षेत्र स्थित उडली गांव में रविवार रात उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब मोटरसाइकिल सवार तीन नकाबपोश बदमाशों ने गांव के समीप सड़क किनारे खड़े एक व्यक्ति पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस गोलीबारी में गांव निवासी लालता यादव के पुत्र योगेंद्र उर्फ हसनु (40) गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना के बाद बदमाश अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए।
सड़क किनारे हुई थी वारदात
जानकारी के अनुसार, योगेंद्र रविवार रात करीब आठ बजे अपने घर से लगभग 150 मीटर दूर सड़क किनारे किसी परिचित से बातचीत कर रहा था। तभी तीन नकाबपोश युवक बाइक से वहां पहुंचे और बिना किसी पूर्व चेतावनी के गोलीबारी शुरू कर दी। अचानक हुई फायरिंग से गांव में दहशत फैल गई।
गोलियां योगेंद्र के कंधे और पेट में जा लगीं। ग्रामीणों और परिजनों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेंस की मदद से घायल को जिला अस्पताल पहुंचाया।
गंभीर हालत में पहुंचाया गया निजी अस्पताल
जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने जांच के बाद उसकी हालत को अत्यंत गंभीर बताते हुए तत्काल वाराणसी रेफर कर दिया। लेकिन परिजनों ने भरोसा जताते हुए उसे वाराणसी के बजाय जौनपुर स्थित अरुणोदय सर्जिकल हॉस्पिटल ले जाने का निर्णय लिया।
जब डॉक्टर बना जीवनदाता
अरुणोदय हॉस्पिटल में घायल की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी गई। यहां हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सक डॉ. अरुण सिंह ने चुनौतीपूर्ण सर्जरी कर योगेंद्र की जान बचा ली।
डॉ. सिंह ने बताया कि उनके शरीर में दो गोलियां फंसी थीं—एक कंधे के समीप और दूसरी पेट के भीतर गहराई में। ऑपरेशन अत्यंत जटिल था, लेकिन उनकी टीम ने पूरी कुशलता और सावधानी के साथ सर्जरी को अंजाम दिया। यह डॉ. सिंह का चौथा गनशॉट केस था, जिसमें उन्होंने मरीज को सफलतापूर्वक जीवनदान दिया।
डॉ. सिंह की टीम को मिला परिजनों का भरोसा
डॉ. अरुण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, “इस तरह के केसों में समय सबसे बड़ा फैक्टर होता है। ऑपरेशन में जरा सी देर या चूक जानलेवा साबित हो सकती थी।” उन्होंने अपनी टीम, अस्पताल की सुविधाएं और परिजनों के विश्वास को इस सफलता का श्रेय दिया।
वहीं परिजनों ने भी डॉक्टर की सराहना करते हुए कहा, “अगर हम वाराणसी जाते, तो शायद इलाज में देरी हो जाती। अरुणोदय हॉस्पिटल और डॉ. सिंह ने वाकई चमत्कार कर दिखाया है।”
पुलिस की भी रही सराहनीय भूमिका
घटना के तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची और न केवल घायल को अस्पताल भिजवाया, बल्कि घटनास्थल से एक खोखा भी बरामद किया। थाना प्रभारी ने बताया कि हमलावरों की पहचान की जा रही है और पुलिस की टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
एक पक्ष अपराध, दूसरा उम्मीद
उडली गांव में हुई यह घटना जहां अपराधियों की दुस्साहसिक हरकत को उजागर करती है, वहीं यह भी दिखाती है कि समय पर की गई पुलिस कार्रवाई और डॉक्टर की कुशलता मिलकर एक जिंदगी बचा सकती है।
डॉ. अरुण सिंह की भूमिका न सिर्फ जौनपुर, बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए गर्व की बात है। उन्होंने साबित कर दिया कि सच्चा चिकित्सक संकट की घड़ी में देवदूत बनकर सामने आता है।
निष्कर्ष:
जौनपुर की इस घटना ने दो सच्चाइयों को उजागर कर दिया—एक तरफ अपराधियों का बेलगाम दुस्साहस है, वहीं दूसरी ओर पुलिस और चिकित्सा जगत में ऐसे लोग हैं, जिन पर समाज को गर्व है।
डॉ. अरुण सिंह की कर्तव्यपरायणता और मेडिकल टीम की तत्परता, आने वाले समय में युवाओं और चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनेंगी।